"मधुर मिलन"
एक आइसक्रीम की दुकान… और उसमें जमी तीन पीढ़ियों की मीठी–कड़वी कहानियाँ।
सुदेश अंकल की पुरानी यादें, अन्वी की नई उलझनें, और राहुल की ठिठोली भरी बातें—जब सब एक ही दुकान के नीचे बैठते हैं, तो रिश्तों की वो परतें खुलती हैं जिन्हें अक्सर समय की ठंडक जमा देती है।
यह कहानी है उन खामोश बातों की जो कभी कही नहीं गईं,
उन मुस्कानों की जो समझौते में बदल गईं,
और उन मिठाइयों की जो अब भी दिलों को जोड़े रखती हैं।
अगर आपके रिश्तों में कोई दूरी पिघलानी हो—तो "मधुर मिलन" ज़रूर पढ़ें।
क्योंकि कभी-कभी... एक आइसक्रीम सब ठीक कर सकती है।