Kiran Kumar Pandey - (30 April 2025)आपने एक बहुत ही गंभीर विषय पर लेखनी चलाई है ! मौजूदा समय में समाज के नियम कानूनों को ताक पर रखकर मनमानी करने को जीवन का नाम दिया जा रहा है जो बेहद चिंताजनक एवं दुखपूर्ण है ! कानून बनाने वालों ने समाज को स्वतंत्रता के नाम पर सामाजिक कानून व्यवस्था पर जो ग्रहण लगाने का काम किया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा ! कुछ लोग भूले भटके वापस आ जाएंगे परन्तु ऐसे बहुत लोग होंगे जिनके जीवन में अंधेरा और प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है ! ऐसे में आपका लेख पढ़ने के बाद यदि समय रहते ऐसे विचारों पर लगाम लगे तो कदाचित बेहतर होगा ! मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है ! बेहतरीन प्रयास...
परिचय- लेखक जितेन्द्र शिवहरे शिक्षक पद पर चोरल के सुदूर ग्रामीण अंचल गांव सुरतीपुरा के शासकीय विद्यालय में पदस्थ है। पन्द्रह वर्षों से अध्यापन कार्य में जुटे लेखक की साहित्य में आरंभ से ही रूचि है। काव्य मंचो पर पिछले दस वर्षों से सक्रीय है।
परिचय- लेखक जितेन्द्र शिवहरे शिक्षक पद पर चोरल के सुदूर ग्रामीण अंचल गांव सुरतीपुरा के शासकीय विद्यालय में पदस्थ है। पन्द्रह वर्षों से अध्यापन कार्य में जुटे लेखक की साहित्य में आरंभ से ही रूचि है। काव्य मंचो पर पिछले दस वर्षों से सक्रीय है।