किसने सोच था कि तेज रफ्तार दौड़ती जिंदगी की गाड़ी के सभी पहिए एक साथ अचानक पंक्चर हो जाएंगे । और हम सब अपनी जान बचाते छिपते फिरेंगे ।
लेकिन इतिहास साक्षी है आपदाएँ - महामारियाँ आती रही हैं और हर संकट की घड़ी में जीत इंसान की ही हुई है । इंसानियत ही जीती है ।
अतः आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस कोरोना संकट में भी - - - - - - जीत जाएँगे हम - - - - - -
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एकांतवास के दिन ( संस्मरणात्मक कहानियाँ ) , संकलन कर्ता - चेतना भाटी