न दो वर्षों के समय में --- कोरोना काल में सभी नागरिक , कलाकार, साहित्यकारअंतरजाल ( इन्टरनेट ) की शक्ति और पहुँच से परिचित हो चुकें हैं या कहें आदि हो चुकें हैं | कारण सबको मालूम है ऐसी परिस्थितियाँ रहीं | लाकड़ाऊन में गतिविधियां बंद थी- घर में रहना , मोबाइल देखना , पुस्तकों का वाचन , गायन, चित्रकला ,आध्यात्मिक चर्चा में शामिल होना ( आनलाइन) | यही साधन थे , कोरोना महामारी के दहशतभरे वातावरण में स्वस्थ रहने के | महामारी का टीका तो बहुत बाद में आया, खैर | उसी समय मेरा परिचय एक आनलाइन एप " शापिज़ेन एप " से हुआ | इस पर अपनी रचनाएँ दे सकते हैं , जिन पर वाचकों की प्रतिक्रियाएँ भी आती हैं , जिन्हें जानकर आप उत्साहित होते हैं |