लगभग एक दशक से हिंदी कविता सृजन हेतु समर्पित।
१९७८ ई. में एम. बी. बी. एस. (फिजिशियन) पुर्ण कर ४० साल ग्रामिण रोगियों की बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में ४२ साल से सरकारी/एन. जी. ओ. (एमर्ट/देव पारा मेडिकल संस्थान- मुख्य संरक्षक) स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा। पिता कीर्तशेष श्री विमल...More
लगभग एक दशक से हिंदी कविता सृजन हेतु समर्पित।
१९७८ ई. में एम. बी. बी. एस. (फिजिशियन) पुर्ण कर ४० साल ग्रामिण रोगियों की बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में ४२ साल से सरकारी/एन. जी. ओ. (एमर्ट/देव पारा मेडिकल संस्थान- मुख्य संरक्षक) स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा। पिता कीर्तशेष श्री विमल राजस्थानी जी (राष्ट्रीय स्तर के कवि) से साहित्यिक संस्कार प्राप्त।
Book Summary
जीवन पथ है कंटकाजिर्ण, संघर्ष कर विजय वरें।
रोटी खातिर श्रम करते, कुछ परहित- सुकर्म करें।।
जीवन की अंतिम परीक्षा का तनिक चिंतन करें।
परिस्थितिजन्य तर्क त्याज्य, विश्व कल्याण करें।।
जीवन की अंतिम परीक्षा मृत्यु है,
परम सत्य मानव को गह भवसागर पार करेगा।
हम दैहिक नश्वर पञ्च-तत्व में,
स्थापित शास्वत आत्मा, तथ्य समझना होगा।।