कुछ भीगे अल्फाजों में” नामक यह हमारा प्रथम काव्य संग्रह है | इसमें समाहित सारी रचनाएँ स्वरचित एवं मौलिक है | कोई भी रचना किसी भी तरह से कापीराइट नहीं है |
पहली बार हमने अपनी सोच रूपी सागर से मोती रूपी शब्द निकलकर पुस्तक रूपी हार की कल्पना को साकार किया है, इस पुस्तक में समाहित रचनाये ज्ञानवर्धक, रोचक एवं मनोरंजन है तथा इसे हर वर्ग के लोग पढ़ना पसंद करेंगे |
आप सभी परिचितों, मित्रों, स्वजनों एवं माननीय जानो से निवेदन है की हमारे इस प्रयास को सफल बनाने हेतु पुस्तक ख़रीदे, पढ़े, दूसरों को भी पुस्तक लेने हेतु प्रेरित करें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दे |