राम एक शब्द नहीं वरन शब्दों की व्याख्या से परे है।
"राम-नाम एक औषधि खरी नीति से खाय
अंग पीड़ा बांधे नही महारोग मिट जाय"
राम मन्त्र का अर्थ:-
1 ’र’ ’आ’ और ’म’, इन तीनों अक्षरों के योग से राम मंत्र बनता है।
यही राम रसायन है।
’र’ - अग्निवाचक है। ’आ’ - बीज मंत्र है। ’म’ - का अर्थ ज्ञान है। यह मंत्र पापों को जलाता है, किन्तु पुण्य को सुरक्षित रखता है, और ज्ञान प्रदान करता है। और हम भी यही चाहते हैं कि पुण्य सुरक्षित रहे, सिर्फ पापों का नाश हो।
’आ’ मंत्र जोड़ देने से अग्नि केवल पांच कर्मों का दहन कर पाती है और हमारे शुभ और सात्विक कर्मों को सुरक्षित करती है।
2 'म' - का उच्चारण करने से ज्ञान की उत्पत्ति होती है। हमें अपने स्वरुप का ज्ञान हो जाता है। इसलिये हम 'र' 'आ' और 'म' को जोड़कर एक मंत्र बना लेते हैं, "राम"। ’म’ अभीष्ट होने पर भी यदि हम ’र’ और ’आ’ का उच्चारण नहीं करेंगे तो अभीष्ट की प्राप्ति नहीं होगी।
’रा’ अक्षर के कहत ही निकसत पाप पहार
पुनि भीतर आवत नहिं देत ’म’ कार किवार
अर्थात ’रा’ अक्षर के कहते ही सारे पाप शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
और वे दुबारा शरीर में प्रविष्ट नहीं हो पाते क्योंकि ’म’ अक्षर तुरंत शरीर के दरवाजे (किवाड़) बंद कर देता है।
3 मानव शरीर पापों को भोगने के लिये ही मिला है, जब सारे पाप ही शरीर से निकल जायेंगे तो शरीर अपने आप स्वस्थ, पवित्र और ओजयुक्त हो जायेगा। ’राम’ सिर्फ एक नाम नहीं अपितु एक मंत्र है, जिसका नित्य स्मरण करने से सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है। ’राम’ शब्द का अर्थ मनोहर, विलक्षण, चमत्कारी, पापियों का नाश करने वाला व भवसागर से पार कराने वाला है।