कुदरत की इस अद्भुत दुनिया में इन्सान को खास बनाया गया है और इन्सान को अन्य जीवों से अलग करती उसकी नायाब बुद्धि उनके विचार । विचारों की खूबसूरती तबतक चमकती रहती है जब तक एक विचार किसी को नुकसान न करें । आज के युग में जिस प्रकार लिंग के आधार भेदभाव किया जा रहा है दहेज़ जैसे कुप्रथा की महामारि जिस तरह से बुद्धिमान इन्सान के विचारों को अपने चपेट में लेती जा रही है वह कहीं न कहीं सवालों के घेरे में है । ये उपन्यास दहेज़प्रथा जैसे विचारों से संक्रमित समाज के समक्ष तीखे सवाल करने की कोशिश करता है ।