कब लिखना शुरू किया, ये तो मुझे ठीक से याद नहीं, पर हाँ पढ़ने का शौक मुझे मेरी बहुत छोटी उम्र में ही लग गया था। चाहे फिर वो कविता हो या कहानियां जब मैं बहुत छोटी थी तब हमारे घर में एक अलमारी किताबों से भरी रहती थी, शायद ही मैंने उनमें से कोई किताब पढ़े बिना छोड़ी हो, बस गलती ये हुई मुझसे मैं उन्हें सहेजना भूल गई, उस समय उम्र इतनी छोटी थी कि रख रखाव का काम घर के बड़ो के ही जिम्मे आता था और फिर वक्त गुजरने के साथ पता नहीं वो सारी किताबें किसके हिस्से आई, कहाँ गई कुछ याद नहीं।