बरामदे की धूप

बरामदे की धूप


स्नेह भारती स्नेह भारती

Summary

सीढ़ियों पर रखा बरामदा उदास था! धूप ने आँखें मूंद ली थी, होठों का कंपन थम कर आनंद हो गया था, मुझे लगा, मेरे हाथ, एक चेहरे को आकार दे रहे...More
Poem Poetry collection
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Publish Date : 17 Jul 2023

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Chapter : 23


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Pages : 55

ISBN : 9789359101095

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