सतरंगी कहानियां की प्रस्तावना में क्या लिखूँ, बहुत कुछ है लिखने कहने को पर अगर सब कुछ कहने सुनने बैठ गया तो एक पूरी किताब ही बनानी पड़ेगी, क्योंकि इस संग्रह की कहानियों में इतने रंग हैं कि एक एक का वर्णन और उनकी विशेषता लिखने बैठ जाएं तो प्रस्तावना में समेटना मुश्किल हो जाएगा।