जिस तरह एक सिक्के के दो पहलू होते हैं और उन दोनों से मिलकर ही वो सिक्का बनता है, ठीक उसी तरह इस संसार के भी दो पहलू हैं उजाला और अँधेरा, सकारात्मकता और नकारात्मकता।
कई बार ऐसा होता है जब इंसानों के मन का अँधेरा उनके उजाले पर हावी हो जाता है और तब नकारात्मक शक्तियाँ अपना प्रभाव जमाना शुरू करती हैं।
यही नकारात्मक शक्तियाँ विभिन्न रूपों में हमसे टकराकर हमारे अंदर एक अनचाहा भय उत्पन्न करती हैं, हमें अँधेरी-अकेली रातों में सिहरा देती हैं।
कभी ये शक्तियाँ हमारी कमजोरी का लाभ उठाकर हमारा अस्तित्व मिटा देती हैं तो कभी हमारे अंदर की सकारात्मकता से हारकर स्वयं ही मिट जाती हैं।
कभी उजाले की जिंदगी में कोई अपनी अतृप्त रह गयी इच्छा मृत्यु के अँधेरे में पूरा करना चाहता है तो कोई अपने साथ हुए अन्याय का प्रतिकार भयावह काली चादर ओढ़कर करता है।
कुछ ऐसी ही काली शक्तियों से जुड़ी कहानियाँ आप पढ़ेंगे हमारे 'अष्टदल समूह' के इस नये 'हॉरर संकलन' में जिसका शीर्षक है 'अँधेरी रातों के साये'।