मेरी एक बहुत ही बुरी लत है ,और वो है किताबें पढ़ने और खरीदकर सहेज कर रखने की ।
जहां कहीं भी किताब पत्रिकाओं की दुकान दिखी साथ ही मैंने यह महसूस किया कि मेरे पास अभी पर्याप्त वक्त है तो वहां पर रूककर सरसरी तौर पर एक निगाह मारकर वहां रखे किताबों का मुआयना कर ही लिया करता हूं । और कोई किताब अच्छी समझ में आई तो तुरंत खरीद भी लेता हूं । लेकिन किताब को कितने दिन में पढ़कर खत्म करूंगा इसकी कोई गारंटी नहीं । हो सकता है एक सप्ताह में पूरा पढ़ लूं या फिर शायद एक माह में भी ना पढ़ पाऊं ?
लेकिन मेरी पुस्तकों की खरीददारी बकायदा चालू ही रही है , और इसी चक्कर में मेरे पास भिन्न भिन्न विषयों पर विभिन्न लेखकों के लिखे ढेरों किताबों का भंडार है । जिसे मैंने सहेजकर रखा हुआ है , और अपने संकलन को जब भी देखता हूं तब मुझे बेहद खुशी होती है ।