जब भी महिला दिवस आता है तब अक्सर हमारे मन में ये ख़्याल आता है कि क्या सचमुच हम स्त्रियाँ मात्र एक दिन हैं?
जब ईश्वर ने सृष्टि की रचना की तब इसकी व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए उन्होंने एक-दूसरे के विपरीत लेकिन एक-दूसरे को पूर्ण करती दो संरचनाओं का निर्माण किया, जो थे पुरूष और स्त्री।
लेकिन एक-दूसरे को परस्पर सहयोग देकर घर-परिवार और समाज को बनाये-बसाये रखने की अपनी जिम्मेदारी निभाने में कब पुरुष श्रेष्ठ होता चला गया और स्त्री का दर्जा दोयम हो गया किसी को पता नहीं।