हाइवे के अंधुवा बाइपास चौराहे पर स्थित "दि ग्रेट इंडियन ढाबा" से खाना खाकर अभी अभी मैं बाहर निकला था और मुंह में भरे मिश्री सौंफ को चबाते उसका आनंद लेते हुए सामने खड़ी अपनी बाईक की ओर बढ़ा , और अभी मैंने अपनी बाइक के की होल में चाबी डाली ही थी कि धड़ाम की बहुत तेज आवाज से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। आवाज इतनी अधिक तेज थी कि पल भर को मैं भी दहल गया था । फिर मेरा ध्यान हाइवे की ओर गया , मैंने देखा दो ट्रक आगे पीछे एक लाइन में दूर तक मुख्य सड़क पर तिरछे घिसटते चले जा रहे थे और उन ट्रकों के सामने एक बाइक वाला भी सड़क पर बाइक समेत घिसटता चला जा रहा था । एक पल में सारा मामला समझ में आ गया मुझे कि ओव्हर टेकिंग का ही मामला था । लेकिन इन ट्रकों के ओवर टेकिंग के चक्कर में बेचारे बाइक वाले की बेवजह ही दुर्गति हो गई थी । मैंने अपनी कलाई पर बंधी हुई घड़ी पर एक निगाह डाली दोपहर के तीन बजने वाले थे । लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी घटना स्थल पर । मैं भी घटना स्थल पर जाकर वस्तुस्थिति का निरीक्षण करना चाहता था । घिसटते हुए दोनों ट्रक सड़क के किनारे बने बार्डर लाइन पर आगे पीछे रुक गए थे और बाइक वाला भी उनके कुछ आगे पड़ा हुआ था ,