समुद्र मंथन के दरमियान सबसे पहले विष और अंत में अमृत की प्राप्ति हुई थी। विष का हक़दार दूर-दूर तक कोई न था मगर अमृत के चाहने वाले सभी थे। इस बात का ज़िक्र-ए-ख़ास इस लिए ज़रूरी है कि आज हम जिस शख़्सियत की बात कर रहे हैं वो अमृत भी इतना ही चाहे जाने वाला किरदार है।
नाम : अमृत, तख्लुस : स्पंदन (धड़कन)
और जब अमृत मंथन करता है तो दुनिया को अलग-अलग रंगों और भाषाओं में शब्दों के ख़ज़ाने प्राप्त होते हैं। चार-चार किताबें और वो भी अलग-अलग भाषाओं में, ये सिर्फ अमृत जैसा बा-सलाहियत और बा-हुनर शायर / लेखक ही कर सकता है।