फूलों की शान बहारें हैं,
आसमान के शान सितारे हैं।
बहुत समय से कुछ कविताएँ मन के कोई कोने में कैद थीं, उपरी सतह पर आना चाहती थीं परन्तु उम्र के साथ-साथ शायद उन कविताओं को इश्क़–ए–मजाजी से इश्क–ए–हकीकी में परिवर्तित होना होगा, इस का ही इन्तज़ार होगा, इसलिए समय बीता होगा। लेकिन जुबान पर इश्क–ए–हकीकी लहर जब कभी भी आई तो रुकी नहीं और जहाँ पर रुकी वहाँ पल को कविताओं में बांधने की कोशिश जरूर हुई है।
फिर भी जगत के आकर्षण, दुनिया की वैभवशाली चीजें मन को कमजोर करके, उसमे से आनंद ढूँढने की कोशिश करती हैं। जहाँ मैं माया के बंधन में आया हूँ वहाँ पर मन का आईना सामने आया है।