अश्रु का महत्व
देवी-देवताओं के अश्रुओं में इतनी शक्ति होती थी,,, उनके आँसुओं से एक नया जीवन उत्पन्न हो जाता था।
पुराणों के अनुसार देवी-देवताओं के आँसुओं से तो नदियाँ भी बह चलती थीं।
जैसा की सरयू नदी के बारे में लोककथाओं में प्रचलित है कि ( आनंद रामायण के यात्रा कांड मे वर्णित ) प्राचीन काल में शंकासुर नामक दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल दिया था और स्वयं भी वहीं छिप गया।
तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध किया था और चारों वेदों को ब्रह्मा जी को सौंप दिया था।
उस समय अत्यंत हर्ष के कारण भगवान विष्णु की आँखों से प्रेमांशु टपक पड़े थे और वह आँसू कालांतर में सरयू नदी कहलाई।
इसलिए भगवान विष्णु के आँसुओं से उत्पन्न होने के कारण सरयू परम पवित्र नदी मानी जाती है।
अनिला द्विवेदी तिवारी