प्रार्थना क्या होती है?
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क्या आप जानते हैं सबसे ताकतवर प्रार्थना कौन सी होती है? सबसे ताकतवर प्रार्थना वो होती है जो हम किसी के आध्यात्मिक विकास के लिए करते हैं।
ज़्यादातर लोग दिखावे के लिए प्रार्थना करते हैं। वो लोगों को ये दिखाना चाहते हैं कि वह कितने धार्मिक हैं। पर शुद्ध, पवित्र प्रार्थना तो केवल सच्चे और स्वच्छ विचारों वाला प्राणी ही कर सकता है। सच्ची प्रार्थना बहुत संक्षिप्त होती है। और उसमे साकारात्मक ऊर्जा का होना बहुत अनिवार्य होता है।
प्रार्थना हमारी आध्यात्मिक उन्नति का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। जैसे हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमारे मन को स्वस्थ रहने के लिए प्रार्थना की आवश्यकता होती है।
हमारे लिए ईश्वर की प्रार्थना करना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि प्रार्थना से हमारा मस्तिष्क बलवान होता है। हमारे अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। ये आध्यात्मिक ऊर्जा हमें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति कराता है।
हम मनुष्यों में आध्यात्मिक ज्ञान का होना अनिवार्य है, अन्यथा हम नाकारात्मक विचारों, प्रलोभनों के सामने टिक नहीं पाएंँगे। संसार में बहुत सी ऐसी नाकारात्मक शक्तियाँ हैं जो मनुष्य को बुराई की तरफ धकेल सकती हैं। और यदि मनुष्य को इन बुराइयों से बचना है तो उसके लिए उसके अंदर आध्यात्मिक ज्ञान का होना आवश्यक है, जो उसे प्रार्थना के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है।
बचपन से हर बच्चे को यही सिखाया जाता है कि प्रार्थना करो, भगवान आपकी इच्छा पूर्ति अवश्य करेंगे। लेकिन किस तरह की प्रार्थना? किस रूप में प्रार्थना करने से हमारी इच्छा की पूर्ति होगी?
केवल भगवान की मूर्ति के सामने खड़े हो हाथ जोड़ने को, या मंदिर के घंटे बजाने को, या श्लोकों का उच्चारण मात्र करने को प्रार्थना कहते हैं? नहीं, प्रार्थना मन से की जाती है। जब हमारे दिल में नाकारात्मकता भरी हो, दूसरों के प्रति हमारे दिल में द्वेष भरा हो, लालच और प्रलोभन से जब हम दूर ना रह पाते हों, अच्छाई के रास्ते को छोड़ बुराई की तरफ कदम बढ़ाने में हिचकिचाहट ना होती हो, तो ऐसे व्यक्ति की प्रार्थना क्या कभी ईश्वर तक पहुँचेगी? कभी नहीं पहुँचेगी।
प्रार्थना में जब तक सच्चाई की झलक नहीं दिखती, वह ईश्वर के द्वार तक नहीं पहुँचती।
अक्सर लोग कहते हैं, हम अपने लिए मांगते हैं तो भगवान नहीं देते, पर किसी और के लिए कुछ मांग लें तो झट इच्छा पूरी कर देते हैं। ऐसा क्यों? क्योंकि सच्ची प्रार्थना वही होती है जो हम दूसरों के दर्द को दूर करने के लिए करते हैं। दूसरे मनुष्य के लिए हमारे दिल से निकले सच्चे भाव, आलौकिक जगत तक जल्द पहुँचते हैं।
अब आप जान ही चुके होंगे कि हमारे जीवन में प्रार्थना का क्या महत्व है। अगले अध्याय में हम जानेंगे कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर भी हमें हमारी प्रार्थना का उत्तर नहीं मिलता। क्यों?
आस्था सिंघल