12वीं फेल के मायने।
अपने नाम के साथ डिग्री लगाने की परंपरा दक्षिण भारत में बहुतायत में देखी जा सकती है। एक फिल्म देखा था हमने जिसमें मिथुन चक्रवर्ती दक्षिण भारतीय के रोल में थे और अक्सर अपना नाम उचित करते समय नाम के साथ MA बोलना नहीं भूलते थे। उस फिल्म में वे नारियल पानी बेचने का काम कर रहे होते हैं।
बदलते समय के साथ व्यवसाय के नाम के साथ डिग्री लगाने की परंपरा सी चल पड़ी। यह परंपरा तब और भी बलवती हो चली जब श्री नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके भाषणों में अक्सर इस बात का जिक्र होता था कि एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन गया। मुझे लगता है उनसे ही प्रेरित होकर बहुत लोगों ने अपने व्यवसाय के पहले अपनी डिग्री लगना शुरू किया।
इस क्रम में सबसे पहला नाम जो सुनाई दिया वह है एमबीए चायवाला। एमबीए चायवाले ने तो व्यापार के सारे रिकॉर्ड तोड़ डालें। उसके बाद धीरे-धीरे विभिन्न समाचार पत्रों में या सोशल मीडिया में ऐसे लोगों का नाम चर्चा में आने लगा जो काफी पढ़े लिखे थे और उन्होंने चाय बेचने का व्यवसाय शुरू किया।
हाल ही में मैंने इस विषय पर इंटरनेट पर कुछ ढूंढने का प्रयास किया तो बहुत ऐसे लोगों का विवरण प्राप्त हुआ। विदेश में एक भारतीय ने अपने व्यापार के साथ ड्रॉप आउट लिख करके व्यापार शुरू किया। इसमें भी उसने काफी नाम कमाया।
भारत में कहीं बीटेक चाय वाला तो कहीं एम ए चाय वाली। पश्चिम बंगाल के एक रेलवे स्टेशन पर एक लड़की चाय बेचती हुई पाई गई जिसने अपने नाम के साथ एम ए इंग्लिश चाय वाली रखा था। उसके व्यापार की स्थिति का तो मुझे पता नहीं पर उसने इस व्यापार के माध्यम से काफी नाम कमा लिया।
अगर देखा जाए तो बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी युवा वर्ग का एक ऐसे व्यवसाय से जुड़ जाना जिसे आम आदमी की नजर में तुच्छ व्यवसाय माना जाता है, अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इस व्यवसाय से जुड़कर, अपने व्यवसाय नाम के साथ अपनी डिग्री जोड़कर भले ही इन उद्यमियों ने शिक्षा व्यवस्था की परिपाटी पर व्यंग्य किया हो पर अपने आप में यह उनके व्यापार बढ़ाने का भी एक सशक्त माध्यम बन खड़ा हुआ और मेरे विचार से विज्ञापन की दुनिया में यह अभूतपूर्व प्रयोग है।
जिसने भी अपने व्यवसाय के नाम के साथ अपनी डिग्री को जोड़ा है उसने बिना कहे ही अपने व्यापार को प्रचार की नई दुनिया में प्रवेश दिलाया है।
अभी हाल ही में विधु विनोद चोपड़ा की एक फिल्म आई थी जिसका नाम है 12वीं फेल। इस फिल्म के पोस्टर में 12वीं फेल की ठीक नीचे अंग्रेजी का एक शब्द भी लिखा है रीस्टार्ट अर्थात फिर से शुरू करें। हालांकि यह फिल्म एक आईपीएस अधिकारी के जीवन की सच्ची घटना है।
पर इस घटना की प्रस्तुति में 12 फेल के साथ यह चमत्कारिक शब्द रीस्टार्ट अपने आप में बड़ा ही अद्भुत प्रयोग है। अर्थात फिर शुरू करें। बॉलीवुड अक्सर लोगों के मनोरंजन के साथ-साथ प्रेरणा का भी स्रोत रहा है।
पुराने समय में एक गाना सुना था जिसके बोल हैं रुक जाना नहीं तुम कहीं हार के। एक कवि ने भी एक रचना में कहा है असफलता एक चुनौती है इससे न भागो तुम। वास्तव में यह फेल वाला शब्द अपने नाम के साथ लगाकर व्यक्ति यथार्थ का सामना करने के साथ-साथ फिर से उठ खड़ा होता है और अपना लक्ष्य हासिल करता है यह अपने आप में बहुत बड़ी प्रेरणादायक बात है। गिरना गिर कर उठना और फिर चल पड़ना जीवन के लिए नितांत आवश्यक है।
अभी हाल ही में अपने मोहल्ले से गुजर रहा था की एक चाय दुकान दिखाई जिसके बैनर पर वही 12 फेल चाय वाले लिखा था। साथ में चमत्कारिक शब्द restart भी। कौतूहल वर्ष मैंने दुकानदार से इस शब्द के प्रयोग के बारे में पूछा। सबसे पहले तो मैंने उनसे यही पूछा की क्या आप वास्तव में 12वीं फेल हैं। उन्होंने बताया कि वे बी कॉम हैं। मैंने पूछा कि जब आप स्वयं बीकॉम हैं तो अपनी दुकान के नाम के साथ बीकॉम या ग्रेजुएट जैसे शब्द जोड़ सकते थे पर यह 12 फेल क्यों। उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र हैं जो 12वीं फेल हैं और उन्हें प्रेरणा देकर जीवन में आगे बढ़ाने के लिए उनकी डिग्री का प्रयोग अपने व्यवसाय के नाम के साथ कर रहे हैं ताकि किसी भी स्तर पर किसी को ऐसा ना लगे कि स्कूली परीक्षा में असफल कोई व्यक्ति जीवन में सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता। अपने मित्र को समर्पित कर यह व्यवसाय प्रारंभ करने वाले इस व्यक्ति को साधुवाद।
असफल होकर बैठ जाने से जीवन आगे नहीं बढ़ सकता। समय भले ही आगे बढ़ता रहे, शरीर अपनी अवस्था बदलती रहे पर आगे बढ़ाने और कुछ कर गुजरने के लिए ऐसे प्रेरक शब्द बहुत कम आते हैं और मुझे लगता है कि जीवन चलने का नाम है, कुछ कर दिखाने का नाम है,केवल डिग्री लेकर खुद को सफलता – असफलता के तराजू पर रखकर मापने का नहीं।