आधुनिक समय में विवाह करना और उसे निभा पाना दिन प्रतिदिन चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है आए दिन लड़ाई झगड़ों एवं अलगाव की खबरें सुनाई देती हैं, वैसे तो मैं किसी रिश्ते को ढोने के मुकाबले उससे मुक्ति पाने का पक्षधर हूं, फिर भी मुझे लगता है हर व्यक्ति को अपनी तरफ से किसी भी रिश्ते को बचाने की अंत तक ईमानदार कोशिश जरूर करनी चाहिए वो भी तब जब उस रिश्ते में बच्चे भी जुड़े हुए हों।
उसका कारण यह है कि इन सब चीजों को देखकर बच्चों के मन में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है जो जीवन पर्यंत नहीं मिट पाता, कई सारी कुंडलियां देखने के बाद और इस तरह के कई मामलों को करीब से देखने के बाद मुझे लगता है दोनों पक्षों को विवाह के समय अपनी तरफ से अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
क्योंकि कई बार जब किसी का तलाक हो जाता है या कोई व्यक्ति इस कठिन दौर से गुजर रहा होता है तो वो जरूर कहता है "इससे तो बेहतर होता शादी ही नहीं करते" शादी जीवन में ठहराव के लिए जरूरी हो सकती है मगर भारत में शादी को सांस लेने जितना जरूरी बना दिया है जो कि किसी भी तरह से ठीक नहीं है।
कुछ एक मामलों में तो माता-पिता शादी ही ये बोलकर करते हैं "शादी कर दो जिम्मेदारी आयेगी सुधर जाएगा" जिस व्यक्ति को माता-पिता नहीं सुधार पाए उसे भला एक नई लड़की कैसे सुधार देगी, चलिए मान लिया उस लड़की ने मेहनत करके सुधार भी लिया तो शायद उसे "पता नहीं क्या जादू कर दिया है बेटे पर अब तो हमारी सुनता ही नहीं" जैसे व्यंग्य बाणों का सामना करना पड़े।
ख़ैर ये सब तो शादी से बाद कि बातें हैं जो कभी खत्म नहीं होंगी, पुनः इसके ज्योतिषीय पक्ष कि ओर लौटते हैं अपने अध्ययन एवं शोध के दौरान मैंने पाया कि इस तरह कि कुंडलियों में कुछ ग्रह संयोजनों की निरंतरता थी।
उस आधार पर मैं कह सकता हूं कि शादी से पहले एक सुखद एवं सफल वैवाहिक जीवन के लिए जातक (लड़के/लड़की) को गुण मिलान एवं ग्रह मैत्री के साथ-साथ तीन ग्रहों के बारे में जरूर विचार करना चाहिए और वो तीन ग्रह चंद्रमा (मन), गुरु (ज्ञान), मंगल (आत्मविश्वास) हैं।
इसका कारण यह है अगर चन्द्रमा बलवान होगा तो व्यक्ति सकारात्मक सोच वाला होगा साथ ही अच्छा चंद्रमा धन संबंधी मामलों के लिए सफलता देता है, सुख स्थान का कारक होने के कारण चन्द्रमा जहां एक ओर व्यक्ति को संतोषी बनाता है वहीं दूसरी ओर बलवान चंद्रमा व्यक्ति को रचनात्मकता का गुण भी देता है, ऐसा जातक अपनी रचनात्मकता से लौकी की सब्जी को कोफ्तों में और करेले की सब्जी को भरवा करेले में बदलने के गुण रखेगा और सबसे बड़ी बात रचनात्मक होने के कारण वो दुनिया में चल रही भेड़ चाल का हिस्सा नहीं बनेगा।
चंद्रमा का अच्छा होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि चंद्रमा को केंद्र में रखकर चंद्र कुंडली भी बनाई जाती है जिससे व्यक्ति की मानसिक अवस्था एवं जीवन के लक्ष्यों का सटीक आंकलन किया जाता है।
गुरु ज्ञान का कारक होता है वैवाहिक जीवन में जब दो अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग मिलते हैं तो किसी न किसी बात पर उनके मध्य वैचारिक मतभेद होना बड़ी सामान्य सी बात है, इसका कारण ये है कि दोनों की अपनी कुछ पुरानी मान्यताएं होती हैं जो उन्हें शत प्रतिशत सही लगती है, ऐसी स्थिति में अगर मतभेद की जगह दोनों तर्क के साथ अपनी बात रखें और एक दूसरे की सही बात को खुले मन से स्वीकार करें तो मुमकिन है दोनों के ही ज्ञान में वृद्धि होगी और दोनों एक दूसरे का सम्मान भी करेंगे। इसलिए कुंडली में गुरू का अच्छा होना जरूरी है क्योंकि एक ज्ञानी व्यक्ति ही किसी दूसरे के सही होने पर बिना किसी झिझक के उसे स्वीकार कर पाता है।
इसके साथ-साथ गुरु स्त्री की कुंडली में पति का कारक भी होता है और पुरुष की कुंडली में गुरु जातक को आध्यात्मिक बनाता है।
चंद्रमा और गुरु के अलावा मंगल भी मुझे बहुत महत्वपूर्ण ग्रह लगता है उसका कारण यह है की मंगल आत्मविश्वास का कारक है और जीवन में वही व्यक्ति सफल होते हैं जो आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं, आज के समय में अधिकतर लोग प्राइवेट सेक्टर से जुड़े हुए हैं और हफ्ते या महीने में एक दिन उनके मन में यह विचार जरूर आता है कि क्यों ना नौकरी छोड़कर अपना काम स्टार्ट किया जाए।
ऐसी स्थिति में अगर उन्हें दूसरी तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी तो मुमकिन है वो कदम बढ़ाएं और जब कोई एक कदम आगे बढ़ाता है तो वो सफल हो या असफल ये बाद कि बात है, लेकिन वो बाकी सभी लोगों से एक कदम आगे जरूर बढ़ जाता है इस स्थिति के लिए कुंडली में मंगल का अच्छा होना काफी जरूरी है।
इसके साथ-साथ भारत में अधिकतर लोग "वंश कैसे आगे बढ़ेगा?" का जवाब खोजने कि वजह से भी विवाह करते हैं, इस सवाल के जवाब में भी मंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, मंगल जन्मकुंडली में रक्त का कारक होता है जिसका व्यक्ति के स्वास्थय और जीवनशक्ति से सीधा-सीधा संबंध है कमजोर मंगल कई बार संतानोत्पति के समय भी समस्याएं देता है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये काफी मुश्किल है कि दोनों लोगों की कुंडली में तीनों ही ग्रह अच्छे हों, कई बार यह भी होता है की जन्मकुंडली में किसी ग्रह की स्थिति बहुत अच्छी होती है लेकिन नवमांश कुंडली में उसकी स्थिति एकदम विपरीत हो जाती है।
इसलिए कुंडली मिलान के समय इस बात का विशेष तौर ध्यान रखना चाहिए कि दोनों ही व्यक्तियों के दोनों ग्रह खराब ना हों, अगर एक का चंद्रमा खराब है तो दूसरे का चंद्रमा अच्छा होना चाहिए अगर एक का गुरु खराब है तो दूसरे गुरु अच्छा होना चाहिए अगर एक का मंगल खराब है तो दूसरे का मंगल अच्छा होना चाहिए और अगर दोनों के ही तीनों ग्रहों अच्छे हैं तो फिर क्या ही कहने।
उपरोक्त बातों के अलावा भी कई बिंदु हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है, लेकिन फिर भी मुझे लगता है अगर व्यक्ति मुख्य रुप से इन तीन ग्रहों पर ध्यान दे तो कई मुश्किलें जातक के जीवन में आने से पहले ही "यू टर्न" ले लेंगी बाकी पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान।