आज मैं आप लोगों के साथ एक बहुत अनोखी बात साझा करना चाहती हूं, जिसे जानकर मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
यू.एस.ए. (विदेश) में एक ऐसी जगह है जिसकी मुद्रा का नाम 'राम' (RAAM) है। जानकर बहुत ही आश्चर्य हुआ साथ ही साथ गर्व की अनुभूति भी। अच्छा और उससे भी मज़ेदार और अचंभित करने वाली बात यह है कि उसकी कीमत इतनी ज़्यादा है की डॉलर व यूरो भी पीछे हो जाएं। आप मानेंगे, एक 'राम', 10 डॉलर के बराबर है। और यही अनुपात यूरो के साथ भी है। मुझे यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता तथा खेद भी हुआ कि जो देश (भारत); ऐसे युगपुरुष की जन्मभूमि है वहां उनके सिद्धांतों पर चलना तो दूर लोग मंदिर और स्थान के नाम पर लड़ाइयां लड़ रहे हैं। वे कितना सुक्ष्म तथ कितना आधारभूत सत्य भूल गए हैं कि 'राम' मन में बसते हैं, देवालय की चार दीवारी उनकी विद्यमानता को सीमित नहीं कर सकती! वे तो कण कण में बसे हैं।हर मानुष तथा जीव में उनका वास है। उनके नाम पर हो रहे भीषण दंगे कितने बेकसूरों का जीवन नष्ट कर देते हैं। जहां एक ओर हम भारतीय इस परम सत्य को भूल पाश्चात्य की अंधी दौड़ में मतिभ्रमित हुए जा रहें हैं वहीं कोई विदेशी उनके आदर्शों को फिर से जीवंत करने की अभिलाषा रखता है और पुनः एक राम राज्य की स्थापना का स्वप्न देख रहा है। वह चाहता है कि इस धरा की हर अप्रयुक्त उपजाऊ भूमि का प्रयोग उन भोजन से वंचित लोगों के लिए धान अन्न उगाने के लिए हो, जो रोज़ाना भूख से जीवन गंवा देते हैं या कई दिन और रातें बिना अन्न के गुजारते हैं। कितने उत्तम विचार हैं यह तथा किसी राष्ट्र को उन्नत रखने का उत्तम प्रयास भी! क्या हम भी अपने आराध्य, आदर्श की राह नहीं चल सकते! क्या हम केवल निजस्वार्थ से एक कदम आगे बढ़कर, अपने ही देश में हो रहे कुकर्म तथा कुप्रथाओं के प्रति जागरूक होकर, छोटा से बदलाव की चेष्टा नहीं कर सकते! हम कहां शक्तिविहीन हैं!? हम कहां असमर्थ हैं?! गर देखना है पूरी दुनिया देखें, नकल करनी है तो अच्छे की करें। आधा अधूरा ज्ञान या बिन अक्ल की नकल सदैव पतन का कारक होती है।
निशी मंजवानी ✍️