टेक्नालॉजी और डीपफेक
लता मंगेशकर जी का एक बहुत ही लोकप्रिय गीत है जिसके बोल कुछ इस तरह के है-" मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे"... वास्तव में, किसी व्यक्ति का चेहरा तथा आवाज़ ही उसकी पहचान होती है। अपनी मधुर स्वर से किसी को भी मुग्ध किया जा सकता है। और कई बार रंग रूप से इतर किसी के चेहरे पर इतना आकर्षण होता है भुलाए नहीं भूलता। लेकिन दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि कई बार अनजाने ही किसी सोशल मीडिया पर शेयर की गई हमारी तस्वीर या हमारी आवाज़ किसी के लिए हथियार साबित हो सकती है। आजकल एडिटिंग कर, एक खास चेहरे को किसी अन्य के अंग संग जोड़ लिया जाता है। यह आजकल बहुत ही आम हो गया है। आज टेक्नॉलाजी के युग में कोई भी कार्य असंभव नहीं रह गया है। इसके फायदे अनेकों हैं पर नुकसान भी कुछ कम नहीं। एक ही यंत्र को हर व्यक्ति अपने-अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु भिन्न भिन्न प्रकार से उपयोग कर सकता है। और इस संसार में हर तरह के व्यक्ति तथा व्यक्तित्व पाये जाते हैं। आप किसके हाथों छले गए यह पता लगाना बहुत ही मुश्किल है। ऐसे में केवल कुछ समय की लोकप्रियता पाने की चाह में हम कई दफा बहुत आगे निकल जाते हैं। और सोशल संसाधनों के माध्यम से धोखा भी खा जाते हैं। हाल ही में ऐसे केस सुने गए तथा हुए हैं जिनमें किसी व्यक्ति द्वारा सोशल साइट्स पर डाले गए साधारण से वीडियो क्लिप से ही कुछ अंश चुरा लिए गए तथा उन्हीं को जोड़कर, नया रूप देकर, उनके दूर बैठे परिजनों को ठगा गया। और वह अमुक व्यक्ति इस घटना से पूर्णतः अनजान होता है। ऐसे ही ना जितने कितने ख़ुराफाती लोगों द्वारा कई सीधे सादे, मेहनती लोग ठग लिए जाते हैं। यहां यह कहावत पूर्णतः चरितार्थ होती है कि "करे कोई भरे कोई"। तो दोस्तों जागरूक हो जाइए। आपकी आवाज़ चाहे कितनी सुरीली हो, आप चाहे कितने ही सुंदर तथा हैंडसम हो, इसका दिखावा हर जगह ना करें। वरना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार बैठेंगे।
आपकी शुभचिंतक साथी
निशी मंजवानी ✍️