नमस्ते मित्रों,
आराधना मे आज मैं आपको एक कहानी सुनाने जा रही हूं, एक गांव में एक राजा था राजा राम, वह अपने प्रजा की समस्याएं सुनता था। प्रजा के लोग भी अपनी अपनी समस्याएं लेकर राजा राम के पास आते थे तथा उनका हल पाते थे। जब कभी राजा राम किसी समस्या को हल नहीं कर पाता था तो वह अपने एक प्रिय मंत्री से समस्या का हल निकलवाता था। वह मंत्री उसकी सभी समस्याओं का हल चुटकियों में निकाल देता था। एक दिन राजा राम अपने महल में बैठा था, तभी वहां एक दूसरे गांव के राजा का मंत्री आया और दो वस्तुएं दिखाने लगा तथा बोला कि इन दोनों में से एक हीरा है और एक कांच है । हीरा कौन सा है, यदि आपके यहां कोई बता देगा तो मैं यह हीरा उसे इनाम में दे दूंगा। मैं बहुत से राज्यों के राजाओं के पास गया हूं, पर किसी के यहां मुझे सही उत्तर नहीं मिला। तब राजा राम ने अपने प्रिय मंत्री से कहा कि तुम बताओ इसमें हीरा कौन सा है। राजा का वह मंत्री आगे आया और उसने वे दोनों वस्तुएं देखी, फिर उसने महल की एक खिड़की से आ रही धूप में उन दोनों वस्तुओं को रख दिया तथा थोड़ी देर बाद दोनों वस्तुएं उठाकर बोला, राजा राम जी इसमें यह हीरा है और यह कांच है। दूसरे गांव का आया मंत्री आश्चर्य करने लगा कि जिसे कोई ना पहचान सका उसे इस मंत्री ने कैसे पहचान लिया। तब राजा राम के मंत्री ने बताया कि जब मैंने आपकी दी हुई दोनों वस्तुओं को धूप में रखा तो जो हीरा था वह गर्म नहीं हुआ तथा जो कांच था वह गर्म हो गया। तब दूसरे राज्य के मंत्री ने उस हीरे को राजा राम के मंत्री को इनाम में दे दिया। राजा राम जी भी अपने मंत्री की बुद्धिमत्ता से बहुत प्रसन्न हुए व उन्होंने उस मंत्री को अपना प्रधान घोषित कर दिया तथा कहां की आज से तुम मेरे उत्तराधिकारी हो।
अच्छा दोस्तों अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे। तब तक स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए, मुस्कुराते रहिए।
जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा