• 22 March 2024

    Astrology ज्योतिष

    जेल के पानी की कहानी और ज्योतिष

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    वर्तमान समय में अतरंगे टोटकों का चलन है बाजार में दर्जनों अतरंगे लोग दर्जनों अतरंगे टोटकों के साथ घूम रहे हैं, इसका एक कारण यह भी है कि व्यक्ति साधारण उपाय सुनने के बजाय असाधारण उपाय सुनना ज्यादा पसंद करता है, या उन्हें प्रभावी मानकर उन पर जल्दी विश्वास कर लेता है।

    जैसे अगर कोई कहे कि प्रतिदिन आपको शिव मंदिर जाना है तो यह जातक समान्य उपाय लगेगा लेकिन अगर कोई जातक से कह दे की उसको उल्टा चलते हुए या एक टांग पर शिव मंदिर जाना है तो अचानक से जातक की इसमें रुचि पैदा हो जाएगी और उपाय के साथ-साथ उपाय बताने वाला व्यक्ति भी जातक को प्रभावशाली लगने लगेगा।

    कुछ समय पहले मेरा एक मित्र मुझसे पूछ रहा था अगर किसी की कुंडली में तलाक के योग हैं और वो अपनी पत्नी से विवाह करने के बाद तलाक ले ले तो उनका वैवाहिक जीवन ठीक चलेगा।

    कुछ लोग कहते हैं समय-समय पर हॉस्पिटल की कैंटीन में जाकर खाना खाकर आना चाहिए इससे जीवन में कभी हॉस्पिटल नहीं जाओगे।

    एक व्यक्ति का कहना था की जेल के बाहर लगे वाटर कूलर से पानी पीकर जेल यात्रा के योगों में कमी आती है।

    एक ज्योतिषी अपने एक प्रोग्राम में बोल रहे थे की वो खुद अपने आप पर छोटे मोटे केस चलवा देते हैं ताकि कोई बड़ा केस ना चल पाए।

    क्या इतना आसान होता है अपनी किस्मत को बदल पाना क्या इतनी आसानी से कर्मफल से बचा जा सकता है ? इसे समझने के लिए पहले हमें किसी घटना और उसके प्रभाव को समझना होगा।

    जब भी किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना होती है और व्यक्ति का रक्त निकलता है तो यह बात तो ठीक है की रक्त का कारक ज्योतिष में मंगल होता है, लेकिन समझने वाली बात यह है की समय-समय पर रक्तदान करना मंगल का उपाय तो हो सकता है मगर क्या यह दुर्घटना का उपाय हो सकता है ? नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता क्योंकि एक घटना के अनेकों प्रभाव व्यक्ति पर पड़ते हैं।

    इसे इस तरह से समझिए की जब भी किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना होती है, तो उसके सिर्फ एक भाव पर प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि बारह के बारह भावों पर अर्थात उसके पूरे जीवन पर उस घटना का प्रभाव पड़ता है।

    उदाहरण के लिए सबसे पहले उसका लग्न (प्रथम भाव) यानी स्वास्थ्य प्रभावित होता है फिर उसके कुटुंब/परिवार/धन (द्वितीय भाव) पर इसका प्रभाव पड़ता है, तीसरा भाव पराक्रम स्थान होता है जैसा कि आप जानते ही होगे एक बार व्यक्ति के साथ कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है तो वह पुनः मौलिक रूप में वापस नहीं आ पाता, यहां तक की अगर किसी व्यक्ति का हाथ भी फैक्चर हो जाए तो भी जीवन भर के लिए उसका हाथ सामान्य हाथ से थोड़ा अलग हो जाता है, यानी दुर्घटना के बाद उसके पराक्रम में अंतर आएगा ही।

    चतुर्थ भाव सुख स्थान होता है जब वह व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होगा तो वह कितनी कोशिश कर ले उसे वहां घर जैसा आराम नहीं मिल पाएगा यानी सुख स्थान भी प्रभावित हुआ।

    वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली का पांचवा भाव पेट का कारक भी होता है, अब अगर कोई व्यक्ति हॉस्पिटल में है और तरह-तरह की दवाइयां खा रहा है तो उसके पेट में तो इसका प्रभाव पड़ेगा ही।

    छठा भाव तो होता ही रोग, ऋण और शत्रु का है व्यक्ति के बीमार (कमजोर) होने पर उसके ऋण और शत्रु में वृद्धि होना तो स्वाभाविक ही है।

    सप्तम भाव पत्नी एवं पार्टनरशिप के विषय में बताता है शास्त्रों में कहा गया

    धीरज धर्म मित्र अरु नारी।
    आपद काल परिखिअहिं चारी ।।

    अष्टम भाव को आयु का स्थान कहा जाता है (हालाकी वर्तमान में इसे मृत्यु स्थान कहकर प्रचारित किया जा रहा है जबकि ऐसा नहीं है।) जब व्यक्ति किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो एक ना एक बार उसके मन में अपने जीवन को लेकर या अपने भविष्य को नकारात्मक विचार जरूर आता ही है, कई बार देखा गया है की यह विचार काफी समय पर उसके मन में रह जाते हैं जिनकी वजह से उसे मानसिक कष्टों से गुजरना पड़ता है।

    नवम भाव धर्म स्थान होता है और मुसीबत आने पर तो अधर्मी से अधर्मी व्यक्ति भी धार्मिक हो ही जाता है और अगर व्यक्ति पहले से ही धार्मिक होता है तो भी बीमारी के वक्त उसके नाम पर दान किया जाता है उसके बेहतर स्वास्थ्य के लिए यज्ञ/पूजा आदि करवाई जाती है।

    दशम भाव को कर्म स्थान कहते हैं जातक के साथ किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर या उसके बीमार होने पर उसका कर्म स्थान हमेशा प्रभावित होता है, कई बार यह तक देखा गया है की जातक को ना चाहते हुए भी अपनी नौकरी तक से हाथ गंवाना पड़ जाता है।

    एकादश भाव को लाभ स्थान कहते हैं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने के लिए जातक और उसके घर वाले हमेशा ही अपनी क्षमता से एक कदम आगे की जगह का चयन करते हैं, इसका साफ-साफ मतलब यह है की स्वास्थय लाभ बढ़ता जायेगा लेकिन धन लाभ घटता जाएगा।

    द्वादश भाव खर्चे का भाव होता है और इस भौतिकवादी युग में घर से एक कदम भी बाहर निकालने का मतलब खर्चे को निमंत्रण देना ही है।

    इसके अलावा भी जब जातक के साथ कोई दुर्घटना होती है तो हॉस्पिटल के बिल के अलावा उसके दस तरह के खर्चे होते हैं, दस तरह के खर्चे होने का मतलब दस लोगों की आमदनी होती हैं, मेडिकल स्टोर से लेकर फल और जूस बेचने वाले हर व्यक्ति को जातक अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा देता है।

    हॉस्पिटल के अंदर डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारी, बगल के वार्ड/बैड में भर्ती हुए मरीज, उसके परिजनों समेत दर्जनों नए लोगों से जातक की मुलाकात होती है, कुछ उसकी सेवा करते हैं कुछ की वो सेवा करता है यानी एक तरह से अपना पिछला हिसाब-किताब बराबर करता है।

    ऐसा ही कुछ तब भी होता है जब जातक का तलाक होता है और यही स्थिति उसके जेल जाने पर भी होती है, बस देश, काल, परिस्थिति बदल जाती है मगर एक घटना के साथ हमेशा ही अनेक घटनाएं और अनेकों लोग जुड़े होते हैं जिनके साथ हमें पिछला हिसाब-किताब बराबर करना होता है।

    अब खुद सोचिए "समय-समय पर हॉस्पिटल की कैंटीन में जाकर खाना खाकर आना चाहिए इससे जीवन में कभी हॉस्पिटल नहीं जाओगे।" या "जेल के बाहर लगे वाटर कूलर से पानी पीकर जेल यात्रा के योगों में कमी आती है।" वाली बात में कितना दम है।

    विपुल जोशी



    Vipul Joshi


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Meera Parihar - (23 March 2024) 5
सही लिखा है

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Awanish Yadav - (22 March 2024) 5

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