नमस्ते मित्रों,
आराधना मे आज मैं आपको एक घटना सुनाने जा रही हूं, एक व्यक्ति बहुत आलसी था। वह हमेशा यही सोचता रहता था कि उसे कुछ मेहनत ना करना पड़े और उसे दैनिक सुख सुविधा मिलती रहे। यही सोचता हुआ वह एक दिन रास्ते से गुजर रहा था, तभी उससे एक चोर टकराता हुआ भागा। उसके पीछे आ रहे लोगों ने उसे ही चोर समझ लिया। तब उनसे बचने के लिए वह वहां से दौड़ा और भागते-भागते जंगल की तरफ पहुंच गया। जंगल में उसे एक लोमड़ी बैठी दिखी। तो वह थोड़ा डर गया। पर वह लोमड़ी बैठी रही। इतने में वहां से एक शेर अपने मुंह में कुछ दबा कर गुजर रहा था। शेर को देखकर वह व्यक्ति पेड़ पर चढ़ गया। पर लोमड़ी वहीं बैठी रही। उस शेर के मुंह में रखा उसके भोजन का कुछ टुकड़ा वहां गिर गया। जिसे लोमड़ी ने उठाकर खा लिया। उस व्यक्ति ने सोचा कि ईश्वर सबकी व्यवस्था करते है, तो वह भी एक जगह जाकर बैठ गया और किसी के भोजन देने की राह देखने लगा। दो दिन हो गए वहां कोई नहीं आया। अब उसे जोरों से भूख लग रही थी, तो वह वहां से उठा और वापस अपने गांव की ओर जाने लगा। रास्ते में उसे एक ज्ञानी व्यक्ति दिखाई दिया। उसने उन्हें जंगल की पूरी घटना सुनाई व पूछा कि ईश्वर ने जैसा लोमड़ी के साथ किया वैसा मेरे साथ क्यों नहीं किया। तब उस ज्ञानी व्यक्ति ने उस आलसी व्यक्ति से कहा कि ईश्वर की कृपा सच में अपरंपार है, वे सबके भोजन की व्यवस्था करते है, पर वे चाहते हैं कि तुम लोमड़ी नहीं बल्कि शेर बनो।
अच्छा दोस्तों अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे। तब तक स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए, मुस्कुराते रहिए। धन्यवाद
।। श्री दत्तात्रेयार्पणमस्तु ।।
जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा