• 10 August 2024

    बुंदेली दोहा प्रतियोगिता--176- 177 से चयनित दो हे

    बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-177

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    *बुंदेली दोहा प्रतियोगी दोहा-177*

    दिनांक 17.8.2024

    *प्रदत्त शब्द #जम (यम यमराज)*


    *प्राप्त प्रविष्ठियां :-*


    *1*

    जम आयेंगे आखिरी,दिन ही लैबे तोय।

    ऐसे ही फिर आयेंगे,इक दिन लैबे मोय।।

    ***

    -वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़

    *2*

    जम जिदना जीलौ जितै,जीखों लेबे आँयँ।

    जा तौ पक्की मान लो,बिना लएँ नइँ जाँयँ।।

    ***

    - अमर सिंह राय,नौगांव

    *3*

    पतिविरता नें मेंट दव,विधि कौ अटल विधान।

    जम खों लौटानें परे,सत्यवान के प्रान।।

    ***

    -रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां

    *4*

    पकर चुटैया जी दिना,जम राजा लै‌ जैंय।

    भजन अकेलौ छोड़ कें,कौउ संग ना दैंय।।

    ***

    भगवान सिंह लोधी 'अनुरागी'हटा,दमोह

    *5*

    बच पाहो नै कोउ जब,आहें जम के दूत।

    चाहे रैव किआउंँ तुम,करौ उपाव अकूत।।

    ***

    -तरुणा खरे जबलपुर

    *6*


    दोऊ लोक सुदार लो,करनी करलो नेक।

    जमराजा नों कोउ की,चलनें नइॅंयाॅं येक।।

    ***

    -आशाराम वर्मा'नादान' पृथ्वीपुर

    *7*

    जम राजा लयँ जात ते,सत्यवान के प्रान।

    सावित्री ने रोक लये,कैरय वेद पुरान।।

    ***

    -प्रमोद मिश्रा,वल्देवगढ़

    *8*

    जम सी बैठी लंकनी,लंकापति के दोर।

    जो आवे सो लीलवे, घुस नहिं पावे चोर।।

    ***

    -आशा रिछारिया निवाड़ी

    *9*

    प्रभु कौ चरणामित पियै,बाल भौग कौ हेत ।

    सो बैकुण्ठै जात वो,यम खौं धोकौ देत ।।

    ***

    -शोभाराम दाँगी, नदनवारा

    *10*

    जमुना जम भ्राता भगिन,हैं सूरज सन्तान।

    जम लेखें जग के करम,जमुना दे जल दान ।।

    ***

    -अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल

    *11*

    अगवानी जमदूत के,डीठी गैल निहार।

    चोला को डोला बना,चली लिबौअा प्यार।।

    ***

    -सीताराम पटेल'सीतेश',रेड़ा, डबरा

    *12*

    जम खौं कम ना जानियो,चौकस पहरेदार।

    जब जीकी जित्ती लिखी,उत्तई करत उधार।।

    ***

    -संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)

    *13*

    जग में पतिव्रत धर्म की,सावित्री है शान।

    लौटा कें जम सें लये,अपने पति के प्रान।।

    ***

    डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा

    *14*

    बचो कोउ नैं आज लो, जम को ऐसो फंद।

    उगरत निगरत साँप खाँ, बनी छछूंदर दंद।।

    ***

    - श्यामराव धर्मपुरीकर, गंजबासोदा

    *15*

    चारइ कौनै जम खड़े,लगे चलाबै बान।

    मार -मार मुर्दा करें,फिर लै लेतइ प्रान।।

    ***

    - एस आर 'सरल', टीकमगढ़

    *16*

    जम नइँ छोड़त काउ खों,का राजा का रंक।

    जो जन्मों ऊ खों लगौ,बुरव मौत कौ डंक।।

    ***

    - अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी

    *17*

    सावित्री ने राखलई,पती धरम की आन।

    जमराजा सें छुडाकें, ‌सत्यवान के प्रान।

    ***

    -एम एल त्यागी खरगापुर

    ***####****

    *संयोजक-*

    ✍️ *राजीव नामदेव"राना लिधौरी"*

    संपादक "आकांक्षा" पत्रिका

    संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका

    जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़

    अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़

    नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,

    टीकमगढ़ (मप्र)-472001

    मोबाइल- 9893520965

    Email - ranalidhori@gmail.com****


    *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 176*

    *प्रदत्त शब्द- कुलाॅंट (पल्टी मारना)*

    संयोजक -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

    आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़


    *प्राप्त प्रविष्टियां :-*


    *1*

    जब लै जात कुलाॅंट मन,भौंरा सौ भंन्नात।

    संयम के आँकुश बिना,मतबारौ हो जात।।

    ***

    -आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर

    *2*

    राम भरोसे नांच रय,लेत कुलाॅंट उचाट।

    चाटुकार कविवर भये,बन कें रै गय भाट।।

    ***

    -रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु',बडागांव झांसी

    *3*

    पार लगइया पार पै,माँगत ठाँणे नाव।

    लइ कुलाँट केवट कहत,पैलाँ चरन धुआव।।

    ***

    -रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां

    *4*

    अब्बै बँगलादेश में,खा गय मान्स कुलाँट।

    शेख हसीना दै भगी,करकें हैंसा बाँट।।

    ***

    -प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़

    *5*

    चले मदारी भेष में,बंदर को डुरयायँ।

    शिव भोला बंदर नचा,ले कुलाॅट दिखलायँ।।

    ***

    -शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा

    *6*

    चलादार के सामनें,चमचा खात कुलाँट।

    मौं देखी पंचात में,बेजां बंदरबाँट।।

    ***

    -संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)

    *7*

    कौल करें किरियां करें,पत्तन खांय कुलांट।

    नेतन को जो धर्म है,कर रय एनई ठाट।।

    ***

    -आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

    *8*

    कुलाँट को तो है उने,देखो बहुतइ सोक।

    मौं के बल बे गिर गए,हंसत रय सब लोग॥

    ***

    -सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,पुणे

    *9*

    बचपन मै मारत हते,मिलखें सबै कुलांट।

    उलटी सूदी जब लगै, खूब परत ती डांट।।

    ***

    -तरुणा खरे जबलपुर

    *10*

    हर कुलांट में चार फुट,आगें हम बढ़ जात।

    जब पियांर में सोत ते,हलके की जा बात।।

    ***

    -वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़

    *11*

    पार सागरे जा रये,हनुमत भरें कुलाँट।

    जावै की उलात परी,ऊँची भरत उचाँट।।

    ***

    -श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा, विदिशा

    *12*

    बालापन की आज लौ,रह-रह खबरें आँय।

    भैया संगे खाट पै,रोज कुलाँटी खाँए।

    ***

    -प्रभा विश्वकर्मा 'शील',जबलपुर

    *13*

    लाबर सगे न काउ के,अपनो मरम न बाँट।

    पत्ता पै खा जाँय जे,मौका परें कुलाँट।।

    ***

    -डॉ.देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा

    *14*

    नैं मानें ईमान खों,नैं सादें पर हेत।

    बेईमान कुलाँट सी,बात-बात पै लेत।।

    ****

    -गोकुल प्रसाद यादव ,नन्हींटेहरी

    *15*

    जात धरम के नाम पै,जौन लोग रय बाँट।

    उनके मौ करिया करौ,खाबै चित्त कुलाँट।।

    ***

    - एस आर 'सरल' ,टीकमगढ़

    *16*

    खात कुलाटैं आज के,नेता देखौं रोज।

    दल बदलू धन लूटते,धरो मिटा कैं खोज।।

    ***

    - प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

    *17*

    चोरी के धन खों चलौ, मिलकें लैबूँ बाँट।

    पत्ता पै बेइमान नें, तुरतइँ खाइ कुलाँट।।

    ***

    -अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी

    *18*

    छिरिया से मिमयांत रय,अब बन गय हैं शेर।।

    नेतै खात कुलाॅंट में, तनक लगै नै देर।।

    ***

    - भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा, दमोह

    *19*

    कमलनाथ खां बीदगइ, आफत आठउं आंट।

    दगा सिन्धया दैगए, बे लैगए कुलांट।।

    ***

    - एम एल त्यागी, खरगापुर

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    *संयोजक-*

    *✍️ राजीव नामदेव"राना लिधौरी"*

    संपादक "आकांक्षा" पत्रिका

    संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका

    जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़

    अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़

    नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,

    टीकमगढ़ (मप्र)-472001

    मोबाइल- 9893520965

    Email - ranalidhori@gmail.com



    राजीव नामदेव राना लिधौरी


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