उपाय थोपने से बचिए
ज्योतिष में एक ग्रह के दर्जनों उपाय होते हैं मुझे लगता है कि एक ज्योतिषी को जातक के ऊपर उपाय थोपने से बचना चाहिए, मेरी हमेशा यह कोशिश रहती है कि मैं व्यक्ति को वह उपाय बताऊं जिसे वह अपनी दिनचर्या में शामिल करके आसानी से कर सके, ऐसे उपाय जो उसकी आस्था के विरुद्ध हों मैं उन्हें बताने से बचता हूं फिर चाहे वो व्यक्ति किसी भी धर्म, पंथ या संस्था से जुड़ा हो।
कुछ समय पहले की बात है मेरे एक मुस्लिम मित्र ने मुझसे भविष्य के लिए परामर्श मांगा उसके हाथों की रेखाएं एवं कुंडली देखकर मुझे लगा की उसे शनि के उपाय बताने चाहिए, मैंने अपने मित्र से कहा कि तुम पास की किसी मस्जिद/मदरसे में जाकर किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्चा उठा सकते हो।
इसी तरह एक व्यक्ति के हाथों की रेखाएं देखकर मुझे लगा की उन्हें चंद्रमा के उपाय करने चाहिए तो मैंने उनसे पूछा कि आप मुस्लिम हैं ना ? उन्होंने हां में सर हिलाया, फिर मैं उनसे कहा कि आप अपने किसी त्योहार में या हर शुक्रवार शरबत बांट सकते हैं, वैसे उस वक्त मुझे ध्यान नहीं आया लेकिन अगली बार अगर कभी मैं उनसे मिला तो मैं उन्हें मस्जिद में वाटर कूलर लगाने या पानी का घड़ा रखने के लिए कहूंगा।
एक बार में हस्तरेखा से जुड़ी रिसर्च के संबंध में मैं ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक केंद्र गया था ब्रह्माकुमारी में एक व्यक्ति ने मुझे हाथ दिखाया और मुझे लगा कि मुझे इनको शुक्र के उपाय बताने चाहिए, मैंने उनसे कहा कि आप अपने संस्थान की बागवानी को संभाल लिजिए यानी फूलों का रखरखाव किया कीजिए इसके अलावा आपको और कोई विशेष उपाय करने की जरूरत नहीं है।
आज मैं इस्कॉन से जुड़े हुए कुछ युवा साथियों से मिला युवा साथी जहां रहते थे वहां गौशाला भी थी, एक युवा साथी का हाथ देखकर मैंने उसे चंद्रमा का उपाय बताया और दूसरे युवा साथी को मैंने बुध और गुरु का उपाय बताया, जब उन्होंने मुझसे पूछा कि उन्हें इन उपायों के लिए क्या करना चाहिए तो मैं उनसे कहा कि चंद्रमा के उपाय के लिए आपको नियमित गायों को पानी पिलाना चाहिए, गुरु के उपाय के लिए आपको गाय को नियमित केला खिलाना चाहिए और बुध के उपाय के लिए आपको नियमित गाय को हरी घास खिलानी चाहिए, इन उपायों को सुनकर दोनों युवा साथियों ने कहा की यह काम वो आसानी से कर सकते हैं।
मुझे लगता है कि उपाय इतने ही आसान होने चाहिए कि जातक उन उपायों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सके और उसकी आध्यत्मिक, धार्मिक एवं सामाजिक मान्यता आहत भी ना हों।
विपुल जोशी