आज हम भारत की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव बड़े ही गर्व और शान से मना रहे हैं। और यह उत्सव की तरह होना भी चाहिए, परंतु इसके साथ ही हमें उन वीरों तथा वीरांगनाओं को भी याद करना चाहिए जिनके कारण आज हम खुली सांस ले पा रहे हैं। हमें जो उपहार उनकी कुर्बानियों के ऐवज में मिला है उसे सहेज कर रखना भी उतना ही आवश्यक है। पर वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह आशा रखना कि आज की युवा पीढ़ी, इस विरासत को संभालकर रख सकेगी, थोड़ा असंभव लगता है। जिस तरह सफलता पा लेना उतना कठिन नहीं, जितना उसे बरकरार रखना होता है। उसी प्रकार यह भारत देश सदा ही स्वतंत्रता का तिरंगा लहराता रहे, यह हम सभी को, खासकर युवाओं को सुनिश्चित करना है। परंतु आज का युवा डिजिटल तथा आधुनिक युग के यंत्रों और फैशन में इस तरह खो गया है कि अब स्क्रीन की आभासी दुनिया ही उसे सत्य और लाभदायक प्रतीत होती है। किसी भी घटना के प्रति नाराज़गी हो या खुशी सबकुछ सोशल साइट्स पर ही व्यक्त कर लिया जाता है। और यदि कोई दुर्घटना आक्रोश की हद तक आ भी जाए, तो कैंडल मार्च तथा मोर्चे धरने से अधिक उनका साहस तथा जज़्बा नहीं बढ़ता। दुख, प्रसन्नता, मेल मिलाप,दोस्ती, रिश्तेदारी, सबकुछ तो आजकल ऑनलाइन ही कर लिया जाता है। रूबरू मिलकर विचार और एहसास साझा करना, या घरवालों से ही मन की बात करना अब बहुत ही असामान्य तथा असहज लगने लगा है। वहीं दूसरी तरफ अपने भावों को खुलेआम सोशल साइट्स पर डाल सबकी सहानुभूति इकठ्ठा करना उनकी निजता को भंग नहीं करता! तेज़ी से आधुनिकरण की ओर दौड़ रही हमारी पीढ़ी को ज़रा रूककर या रोककर समझाने और आहिस्ता आहिस्ता से उन्नति के फायदे समझाने होंगे। उंगलियों को चलाकर शीघ्र ही सबकुछ मिल जाने की चाहत उन्हें एक लंबी रेस का घोड़ा बनने से तथा वास्तविकता से बहुत दूर कर रही है। डिजिटल और आधुनिकता पर अति निर्भरता हमें पुनः परतंत्रता की ओर ले जा रही है। ऐसे में लगता है मानो, हम स्वतंत्र होकर भी परतंत्र हो गए हैं। सोचिए, कि हमारे पुरखों ने भी यदि डिजिटल तरीका अपनाया होता या दूर से ही हर मुद्दे पर राय देकर अथवा सहानुभूति जतला दी होती, तो क्या भारत कभी आज़ाद हो पाता?
एक बार अपनी राष्ट्रभाषा में कह दें 'स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं' बहुत सुकून और गर्व महसूस होगा। एक दिन अंग्रेजी को विराम देकर, अपनों के बीच अपनी भाषा में बोलें, और सौ सालों की परतंत्रता के अवशेष (अंग्रेजी बोलचाल) को दरकिनार कर लें।
जय हिन्द जय भारत
निशी मंजवानी ✍️