*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-174*
*बिषय- तिगैला*
दिनांक-27/7/2024.
*संयोजक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह, टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
तीन जुड़े रस्ता जितै, कयें तिगैला लोग।
गाँव- गाँव हर शहर में, मिलें भोत संयोग।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव(झांसी)
*2*
बीच तिगैला पै कुटें , दो ठउ दारू खोर ।
बेइ कड़ें मौबाल के , जेब कतरन्ना चोर ।।
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-प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ
*3*
साहुन पै बैनें चलें, पने मायकें जायँ ।
तकें तिगैला गाँव कौ, हुलस सावनी गायँ ।।
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-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
*4*
असमंजस में जीव है,परो तिगैला आन।
कौन गैल पकराउने,गुरू करे पहचान। ।
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-आशा रिछारिया,निवाड़ी
*5*
कभी तिगैला पर हती,घनी पीपल की छांव।
काट ड़ारे ज़ब पेड सब,आज़ जल रओ गांव॥
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-सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,पुणे
*6*
पूजा भूत पिरेत की , आदी राते होय।
होत तिगैला पै सदाॅं, देख न पाबै कोय।।
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-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
*7*
पनघट खों सखियां चलीं,धरे मटक उर डोर।
उतइ तिगैला पै खड़े,मिल गए माखन चोर ।।
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-तरुणा खरे, जबलपुर
*8*
ई जीवन की गैल में, है भौतइ अडभेड।
काम,दाम औ मोह के,केउ तिगैला टेड।।
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-डां.देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
*9*
मुसकल सामें आ परी, मिलो तिगेला आय।
इते-उते जावैं किते, बुद्धी जा चकराय।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा(विदिशा)
*10*
तीन गैल फूटें जितै ,उयै तिगैला कात।
जगन-तगन के आदमी,सबइ उतै मिल जात।।
***
-सुभाष सिंघई,जतारा
*11*
तीन तिगैला तक चलें , पैदल हम सब आज।
चौथे सें बस में चढ़ें , कैरय जा शिवराज।।
***
-वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़
*12*
देख तिगैला ओरछा,राम लला सरकार।
दिव्य धाम सुंदर बना, होती जय जयकार।।
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- मूरत सिंह यादव, दतिया
*13*
जग में सत की गैल में, कैउ तिगैला होत।
बे नइँ भटकत जिन हियै,गुरू जलाबें जोत।।
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-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*14*
तीन गैल जाँ होत हैं, उये तिगैला कात।
बसैं रुकैं औ सब मिलै, गुंडा मेले रात।।
***
- डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
*15*
बिदे तिगैला सोच में, कौन गैल में जायँ।
बड़ी बिबूचन आ परी, नायँ जायँ के मायँ।।
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-संजय श्रीवास्तव* मवई (दिल्ली)
*16*
छाय घटा घनघोर हैं.लगौ कठिन अँधयाव।
छिके तिगैला पै खड़े,झिर दयँ हैं बसकाव।।
***
-एस.आर. सरल, टीकमगढ़
*17*
सजी बजी झांकी कडी, गयी तिगैला ओर।
अखियाँ तरसें दर्श खों,झाँकी जुगल किशोर।।
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- रामानन्द पाठक, नैगुवां
*18*
खड़े तिगैला पै कनइ,कर रय सोच बिचार।
बिगर गई स्यारी सबइ,झिर नैं मारी मार।।
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
*19*
भरम तिगैला भी मिलें,जीवन में कइ बार।
निरनय करैं विवेक से,हुइ पाओगे पार।
***
-रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट
*-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*
(संयोजक- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता)
मोबाइल- 9893520965
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*172वीं बुंदेली दोहा* प्रतियोगिता-172
प्रदत्त शब्द-नतैत (रिश्तेदारी)
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
घर में आय नतैत हैं,मचौ ढिड़उवाँ गाँव।
आकैं करत जुहार सब,बैठ पौर की छाँव।।
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*2*
तीन दिना रैकें चले,चौथे दिना नतैत।
धरी ॲगोछी मूढ़ पै,पइसा धर लय सैंत।।
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-प्रदीप खरे मंजुल', टीकमगढ़
*3*
साले के साले कहैं,उतै बुआ की बैन।
बुआ के रिश्तेदार वे,लगै नतैती एैन।।
***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नंदनवारा
*4*
जीकै होवै संग में, रय दस पांच लठैत।
पूंछ बडे परिवार की, ढेरन होंय नतैत।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता'इंद',बडागांव(झांसी)
*5*
केवट बोलो राम सौं , हम तुम पारें रैत ।
उतराई ना लैंयँ जू , तुम हो मोय नतैत ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ़
*6*
जग में सबइ नतैत हैं,करौ न बिरथाॅं रार।
हिलमिल कैं जे काटलो,जीवन के दिन चार।।
***
- आशाराम वर्मा नादान, पृथ्वीपुर
*7*
दुख पीरा में जे खड़े,संग सांत में रैत।
समझौ ई संसार में, सांचे बेइ नतैत।।
***
-तरुणा खरे, जबलपुर
*8*
नाते सब संसार के,काम सटें तज देत।
दीनबंधु श्री राम हैं,सबसें बड़े नतैत।।
***
-आशा रिछारिया (निवाड़ी)
*9*
जिनखों बेटी अरु बहू, दिखबै एक समान।
बे नतैत राजा जनक, नृप दशरथ पहचान।।
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-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा (दमोह)
*10*
जुरबैं सबइ नतैत जब, आबै औसर काज।
एइ सनातन रीत सें, फूलत फलत समाज।।
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-रामानंद पाठक,नैगुवां
*11*
तनक-तनक सी बात पै, लर-लर परत नतैत।
अपनी-अपनी कात सब, बनत सबइ पगरैत।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा (विदिशा)
*12*
सिय कीं सखियांँ सोस रइँ,देख राम कौ रूप।
जे बन जाँय नतैत तौ, जोड़ी रैय अनूप।।
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-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*13*
पैल माँग पूरी करी, फिर मौं फारें और।
यैसे मिले नतैत जे,बिटियै नइयाँ ठौर।।
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- डॉ.देवदत्त द्विवेदी,बड़ा मलेहरा
*14*
चले आत घर में घुसत,यैसे कैउ नतैत।
जैसें घर में हैं घुसत,भड़या चोर लठैत।।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*15*
हर नतैत सें हम मिलत,खूब करत सममान।
सबरे तौ नौंने लगत,सबइ हमारी शान।।
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- वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़
*16*
पैलउँ पेलाँ पाहुने, आये नइ ससरार।
स्वागत करें नतैत कों,सास ससुर परवार।।
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- एस आर सरल टीकमगढ़
*संयोजक- 'राजीव नामदेव राना लिधौरी'*