• 13 July 2024

    बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-172 natrt

    bundeli doha pratiyogita-172

    5 32

    *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-174*


    *बिषय- तिगैला*


    दिनांक-27/7/2024.


    *संयोजक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*

    आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह, टीकमगढ़


    *प्राप्त प्रविष्ठियां :-*

    *1*

    तीन जुड़े रस्ता जितै, कयें तिगैला लोग।

    गाँव- गाँव हर शहर में, मिलें भोत संयोग।।

    ***

    -रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव(झांसी)

    *2*

    बीच तिगैला पै कुटें , दो ठउ दारू खोर ।

    बेइ कड़ें मौबाल के , जेब कतरन्ना चोर ।।

    ***

    -प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ

    *3*

    साहुन पै बैनें चलें, पने मायकें जायँ ।

    तकें तिगैला गाँव कौ, हुलस सावनी गायँ ।।

    ***

    -अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल

    *4*

    असमंजस में जीव है,परो तिगैला आन।

    कौन गैल पकराउने,गुरू करे पहचान। ।

    ***

    -आशा रिछारिया,निवाड़ी

    *5*

    कभी तिगैला पर हती,घनी पीपल की छांव।

    काट ड़ारे ज़ब पेड सब,आज़ जल रओ गांव॥

    ***

    -सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,पुणे

    *6*

    पूजा भूत पिरेत की , आदी राते होय।

    होत तिगैला पै सदाॅं, देख न पाबै कोय।।

    ***

    -आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर

    *7*

    पनघट खों सखियां चलीं,धरे मटक उर डोर।

    उतइ तिगैला पै खड़े,मिल गए माखन चोर ।।

    ***

    -तरुणा खरे, जबलपुर

    *8*

    ई जीवन की गैल में, है भौतइ अडभेड।

    काम,दाम औ मोह के,केउ तिगैला टेड।।

    ***

    -डां.देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा

    *9*


    मुसकल सामें आ परी, मिलो तिगेला आय।

    इते-उते जावैं किते, बुद्धी जा चकराय।।


    ***

    -श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा(विदिशा)


    *10*

    तीन गैल फूटें जितै ,उयै तिगैला कात।

    जगन-तगन के आदमी,सबइ उतै मिल जात।।

    ***

    -सुभाष सिंघई,जतारा

    *11*

    तीन तिगैला तक चलें , पैदल हम सब आज।

    चौथे सें बस में चढ़ें , कैरय जा शिवराज।।

    ***

    -वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़

    *12*

    देख तिगैला ओरछा,राम लला सरकार।

    दिव्य धाम सुंदर बना, होती जय जयकार।।

    ***

    - मूरत सिंह यादव, दतिया

    *13*

    जग में सत की गैल में, कैउ तिगैला होत।

    बे नइँ भटकत जिन हियै,गुरू जलाबें जोत।।

    ***

    -गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी

    *14*

    तीन गैल जाँ होत हैं, उये तिगैला कात।

    बसैं रुकैं औ सब मिलै, गुंडा मेले रात।।

    ***

    - डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल

    *15*

    बिदे तिगैला सोच में, कौन गैल में जायँ।

    बड़ी बिबूचन आ परी, नायँ जायँ के मायँ।।

    ***

    -संजय श्रीवास्तव* मवई (दिल्ली)

    *16*

    छाय घटा घनघोर हैं.लगौ कठिन अँधयाव।

    छिके तिगैला पै खड़े,झिर दयँ हैं बसकाव।।

    ***

    -एस.आर. सरल, टीकमगढ़

    *17*

    सजी बजी झांकी कडी, गयी तिगैला ओर।

    अखियाँ तरसें दर्श खों,झाँकी जुगल किशोर।।

    ***

    - रामानन्द पाठक, नैगुवां

    *18*

    खड़े तिगैला पै कन‌इ,कर रय सोच बिचार।

    बिगर ग‌ई स्यारी सब‌इ,झिर नैं मारी मार।।

    -भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"

    *19*

    भरम तिगैला भी मिलें,जीवन में कइ बार।

    निरनय करैं विवेक से,हुइ पाओगे पार।

    ***

    -रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट

    *-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*

    (संयोजक- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता)

    मोबाइल- 9893520965



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    *172वीं बुंदेली दोहा* प्रतियोगिता-172

    प्रदत्त शब्द-नतैत (रिश्तेदारी)

    संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

    आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

    *प्राप्त प्रविष्ठियां :-*


    *1*

    घर में आय नतैत हैं,मचौ ढिड़उवाँ गाँव।

    आकैं करत जुहार सब,बैठ पौर की छाँव।।

    ***

    -सुभाष सिंघई, जतारा

    *2*

    तीन दिना रैकें चले,चौथे दिना नतैत।

    धरी ॲगोछी मूढ़ पै,पइसा धर लय सैंत।।

    ***

    -प्रदीप खरे मंजुल', टीकमगढ़

    *3*

    साले के साले कहैं,उतै बुआ की बैन।

    बुआ के रिश्तेदार वे,लगै नतैती एैन।।

    ***

    -शोभाराम दाँगी 'इंदु', नंदनवारा

    *4*

    जीकै होवै संग में, रय दस पांच लठैत।

    पूंछ बडे परिवार की, ढेरन होंय नतैत।।

    ***

    -रामेश्वर प्रसाद गुप्ता'इंद',बडागांव(झांसी)

    *5*

    केवट बोलो राम सौं , हम तुम पारें रैत ।

    उतराई ना लैंयँ जू , तुम हो मोय नतैत ।।

    ***

    -प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ़

    *6*

    जग में सबइ नतैत हैं,करौ न बिरथाॅं रार।

    हिलमिल कैं जे काटलो,जीवन के दिन चार।।

    ***

    - आशाराम वर्मा नादान, पृथ्वीपुर


    *7*

    दुख पीरा में जे खड़े,संग सांत में रैत।

    समझौ ई संसार में, सांचे बेइ नतैत।।

    ***

    -तरुणा खरे, जबलपुर

    *8*

    नाते सब संसार के,काम सटें तज देत।

    दीनबंधु श्री राम हैं,सबसें बड़े नतैत।।

    ***

    -आशा रिछारिया (निवाड़ी)

    *9*

    जिनखों बेटी अरु बहू, दिखबै एक समान।

    बे नतैत राजा जनक, नृप दशरथ पहचान।।

    ***

    -भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा (दमोह)

    *10*

    जुरबैं सबइ नतैत जब, आबै औसर काज।

    एइ सनातन रीत सें, फूलत फलत समाज।।

    ***

    -रामानंद पाठक,नैगुवां

    *11*

    तनक-तनक सी बात पै, लर-लर परत नतैत।

    अपनी-अपनी कात सब, बनत सबइ पगरैत।।

    ***

    -श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा (विदिशा)

    *12*

    सिय कीं सखियांँ सोस रइँ,देख राम कौ रूप।

    जे बन जाँय नतैत तौ, जोड़ी रैय अनूप।।

    ****

    -गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी

    *13*

    पैल माँग पूरी करी, फिर मौं फारें और।

    यैसे मिले नतैत जे,बिटियै नइयाँ ठौर।।

    ***

    - डॉ.देवदत्त द्विवेदी,बड़ा मलेहरा

    *14*

    चले आत घर में घुसत,यैसे कैउ नतैत।

    जैसें घर में हैं घुसत,भड़या चोर लठैत।।

    ***

    -अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी

    *15*

    हर नतैत सें हम मिलत,खूब करत सममान।

    सबरे तौ नौंने लगत,सबइ हमारी शान।।

    ***

    - वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़

    *16*

    पैलउँ पेलाँ पाहुने, आये नइ ससरार।

    स्वागत करें नतैत कों,सास ससुर परवार।।

    ***

    - एस आर सरल टीकमगढ़

    *संयोजक- 'राजीव नामदेव राना लिधौरी'*



    राजीव नामदेव राना लिधौरी


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Rajni Namdeo - (15 July 2024) 5
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