माध्यम
ईश्वर के रूप मे ईश्वर
नमस्ते मित्रों,
आराधना मे आज मैं आपको एक आंखोदेखी, मर्मस्पर्शी, संवेदनापूर्ण घटना सुनाने जा रही हूं, एक व्यक्ति था, वह रोज गलियों में यूं ही घूमता रहता था। लोग समझते थे वह कोई चोर है, या मानसिक रोगी पर वह चौक चौराहों पर स्थित छोटे-छोटे मंदिरों में जहाँ कुछ लोग पैसे या नारियल, अगरबत्ती इत्यादि कुछ भी वस्तुएं जो चढ़ाते थे, उन्हें उठाता था। उसे उठाकर यदि रुपए हो, पैसे हो तो भी, नहीं तो कोई वस्तु हो तो उसे बेचकर उन रूपयो से कुछ खाने की वस्तुएं खरीद कर वह मोहल्ले में घूम रहे आवारा जानवरों, पशु पक्षियों के लिए उनके मुताबिक भ़ोजन उन्हें देता था। वे जानवर और पशु पक्षी भी उसकी राह देखते। यह सब देखकर दिमाग में एक प्रश्न उठता है, कि कुछ लोग कहते हैं कि भगवान को रुपया पैसा या इत्यादि वस्तुओं की क्या आवश्यकता। पर ईश्वर भी शायद ऐसे लोगों को माध्यम बनाकर उन जानवरों और पशु पक्षियों की मदद करता है और उन्हें भोजन पहुंचाता है।
अच्छा दोस्तों अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे। तब तक स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए, मुस्कुराते रहिए। धन्यवाद
।। श्री दत्तात्रेयायर्पणमस्तु ।।
जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा