• 21 December 2024

    बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -195

    बुन्देली दोहा

    0 21

    *जय बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 195*


    प्रदत्त शब्द-- चिंटा(चींटा)

    संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

    आयोजक - जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़


    *प्राप्त प्रविष्ठियां :-*


    *1*

    चिंटा सौ चिपको रहत,ई जीवन सें मोह।

    खेंचौ तौ टूटे मुड़ी,फिर भी नहीं विछोह।।

    ***

    -आरके प्रजापति, जतारा

    *2*

    अंडा लयॅं चिटियाॅं चलें , उर चिंटा उबरात।

    सोऊ स्यानें कन लगत, अब होनें बरसात।।

    ***

    -आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर

    *3*

    कोऊ नइयाँ दीन कौ, ऊके हैं भगवान।

    समझै लोग गरीब के, चिंटा जैसे प्रान।।

    ***

    - एस. आर.सरल, टीकमगढ़

    *4*


    चिंटा रसगुल्लन पिड़े, खोद खोद कें खांय।

    ऐसइ अब नेता भये,रैयत रइ चिचयाय।।

    ***

    -आशा रिछारिया, निवाड़ी

    *5*

    चिँटा चिंटीँ ढूँढ़केँ , चाट लेत गुरयाइँ ।

    माँछीँ बर्रे राब में , मरवेंँ राम धुआइँ ।।

    ***

    -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़

    *6*

    करिया रंग कौ होत है , गुर शककर खों खात।

    जौ चिनटा काटै जितै , खूबइं कलला जात।।

    ***

    - वीरेन्द्र चंसौरिया टीकमगढ़

    *7*


    चीटा जैसी हो लगन,मूड़ भले कट जाय।

    जब तक घट में प्रान हैं,कोऊ छुड़ा न पाय।।

    ***

    - भगवान सिंह लोधी अनुरागी, हटा

    *8*

    चिंटा गुड में ही लगें, गुड पे रय इतरांय।

    इक दाना ही पांय कें, हलवाई बन जांय।।

    ***

    -रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव झांसी

    *9*


    परिया सें गुर नेंक लै,धरती में दो डार।

    तुरतइं चिंटा आ लगें,खावे खौ मौ फार।।

    ***

    - रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर

    *10*

    चिंटा चुखरा चेंपला,घर में ‌जब आ जात।

    चटकी चौतइयाँ घुसै,करें ,उतै उत्पात।।

    ***

    -सुभाष सिंघई, जतारा

    *11*

    चींटा ऊखों काटता,जो ठलुआ इंसान।

    धरै हाथ पे हाथ है,करमहीन है जान।।

    ***

    ----प्रो डॉ शरद नारायण खरे,मंडला

    *12*

    चींटा नें काटौ हमें, बिच्छू सौ झन्नाय।

    चिपकौ चिंटा ना खिचै,खिचै कूत परजाय।।

    ***

    - अंजनी कुमार चतुर्वेदी,निवाड़ी

    *13*

    चिंटा फिर रय देस में,इनसैं बचकै राव ।

    काट खायँ जे पांव में,नेक पायँ जो दाव ।।

    ***

    -शोभाराम दाँगी, नदनवारा

    *14*

    चिन्टा चिन्टी की तराँ, करें बनत सब काम,

    छोटे तन मिल देत हैं, बड़े - बड़े अन्जाम ।

    ***

    -अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल

    *15*

    चमचा चिपके गौंच से,कोल कोल कैं खात।

    गुर में ज्यौं चीटा लगैं, तैसे चिपके रात।।

    ***

    - प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़

    *16*

    पोल खोलते और की, बड़ो मजा सो आत।

    खुद की आबै बात तौ,चीटा सो लग जात।।

    ***

    +तरुणा खरे जबलपुर

    *17*

    गुर की परिया पे जुरत, चींटों की अति भीर।

    गिरे परत खाबै मरत, नइयाँ इनखाँ धीर।।

    ***

    श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा, विदिशा

    *18*

    चिंटा से ना चेंटिओ, बुरौ होत है हाल।

    साल पुरानी कड़ गई, आसौं रौ खुशहाल।।

    ***

    -डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल

    *19*

    निरबल खों जो ताँस रय, अपनों लाभ बिचार।

    नाहक चींटा मार कें, पानी रहे निकार।।

    ***

    डॉ. देवदत्त द्विवेदी बड़ामलहरा

    *20*

    चिन्टा मारौ आपनें, सो पानी कड आव।

    जिदना बिद हौ जंट सें, उत्तर मिल जै ठाव।।

    ***

    -रामानंद पाठक नैगुवां

    *21*

    चिंटा गुर पै लग चुके,कर ड़ारो बेकार।

    कछू काम को बचौना,आ गय नातेदार।।

    ***

    -मूरत सिंह यादव दतिया

    #######@@@@######

    *-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*

    (संयोजक- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता)

    मोबाइल- 9893520965

    ###############@@@###



    राजीव नामदेव राना लिधौरी


Your Rating
blank-star-rating
Sorry ! No Reviews found!