घट रहे आशा।
बढ़ रहे आशा।
जीवन पथ पर।
कई अभिलाषा।
कोई छूटते।
कोई टूटते।
कोई मिलते।
कई अभिलाषा।
हंसी दे जाते।
रुलाने आते।
बताने आते।
कई अभिलाषा।
सुबह कुछ।
दोपहर कुछ।
सांझ कुछ।
कई अभिलाषा।
बागों में।
गांवों में।
शहरों में।
कई अभिलाषा।
गिरधारी लाल चौहान व्याख्याता
सक्ती छत्तीसगढ़