अपने पन का गीत गाऊं।
अपने पन अपनों में पाऊं।
अपना पन कभी न छोड़ना।
पा अपने पन मैं इतराऊं।
अपने पन से खुशियां मिलती।
रहने वाली दुख है हटती।
अपने पन का बोझ उठाओ।
अपने पन का बोझ उठाऊं।
अपना पन बढ़ाकर रहना।
अपना पन होता एक गहना।
अपना पन अमृत की तरह।
अपने पन का हवा बहाऊं।
अपने पन का नहीं दुकान।
मिलता खरीद लेता इंसान।
अपना पन एक है व्यवहार।
इससे व्यवहारिक कहलाऊं।
गिरधारी लाल चौहान व्याख्याता
सक्ती छत्तीसगढ़