नये विचार का मैं पक्षधर।
सबको मिले सामान अवसर।
कोई क्यों पीछे कोई क्यों आगे।
कोई क्यों सोये कोई क्यों जागे।
सबका हो एक ही डगर।
कोई क्यों धनी कोई क्यों निर्धन।
इस पर क्यों नहीं कोई करता चिंतन।
इसका भी हो खोज खबर।
कैसे कोई सुखों में पल रहा।
युगों युगों से कैसे यह चल रहा।
कैसे यहां कोई भी नहीं अमर।
हमें बनाया ईश्वर ने हमने सुविधाएं।
लेकिन हमारी चतुराई से बनी बाधाएं।
ईश्वर से क्या हम बड़े ढा रहे कहर।
गिरधारी लाल चौहान व्याख्याता
सक्ती छत्तीसगढ़