• 28 September 2024

    बुंदेली दोहा प्रतियोगिता

    बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -183

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    *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183*

    विषय:-करय (कडुवा)

    शनिवार, दिनांक - 28/09/2024


    *प्राप्त प्रविष्ठियां :-*


    *1*

    ज‌उआ पै प्यारे लगें, गदरे हिरदे भांय।

    करय लगत हैं ऊ दिना,जब नीचट पक जांय।।

    ***

    -भगवान सिंह लोधी 'अनुरागी',हटा

    *2*

    झूँठा लबरा या दुता,करय नीम से होंय।

    इनके संगै रात जो, बे जीवन भर रौंय।।।

    ***

    - आर के प्रजापति, जतारा

    *3*

    करय बचन मघुकर कहे,रानी को न सुहाय।

    पत राखन अवधेश जू ,नगर ओरछा आय।।

    ***

    -आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर

    *4*

    करय दिनन में आय जू,पुरखा बनकेँ काग।

    मान गौन भौजन दियौ,बाढ़ें कुल को भाग।।

    ***

    -प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ

    *5*


    करय दिन रत कुँआँर में,पुरखन पानी देत ।

    खपरन पै कागुर धरैं,पुरखा बुलवा लेत ।।

    ***

    -शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा

    *6*

    लगे करय दिन जानकें,पुरखन भरी उड़ान।

    मगरन-मगरन पै लगे, त्यागी रोज दिखान।।

    ***

    - एम एल त्यागी, खरगापुर

    *7*

    करय बोल जो बोल,रय ,उनको मन हे साफ।

    कबऊं गुस्सा होत नइ,करत सबखों माफ॥

    ***

    -सुभाष बाळकृष्ण सप्रे भोपाल

    *8*

    करय दिना जे चल रये,पुरखा पूजैं लोग।

    पुरखन के आसीस लो,उमदा जो संजोग।।

    ***

    -श्यामराव धर्मपुरीकर,गंज बासौदा

    *9*

    सुनबे में कित्तउ लगैं, करय बड़न के बोल।

    परसत सार निचोर कें, ज्ञान सकल अनमोल।।

    ***

    -विद्या चौहान, फरीदाबाद

    *10*

    काए धूरी में करौ, जा जीवन अनमोल।

    नौनी-नौनी जीभ पै, करये-करये बोल।।

    ***

    -डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला भिण्ड

    *11*

    करय दिना जब सें लगे,पा रय छप्पन भोग।

    मीठे मीठे दिनन खों,करय काय कत लोग।।

    ***

    -प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ

    *12*

    करय बोल रत बान से,करैं करेजे घाव।

    मिटत नईं औषध लयें,कितनउ करौ उपाव।।

    ***

    -तरुणा खरे जबलपुर

    *13*


    जैसइ लगें कनागतें,पितर आँय सब याद।

    करय दिनों में होत है,तरपन और सिराद।।

    ***

    - डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलेहरा

    *14*

    हरिश्चंद सौ बोलवौ,बोलौ कियै पुसात।

    साँची कय सें काउ की,करय बुरय हो जात।।

    ***

    -अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

    *15*

    सिया सोंप दो राम खों, लगी करइ जा बात।

    रावण ने रिसयाय कें, भैयै मारी लात।।

    ***

    -आशा रिछारिया ,निवाड़ी

    *16*

    करय दिनन में खा रहे , सबजी पूड़ी रोज

    आज इतै तौ कल उतै , रोजउं हो रय भोज।।

    ***

    - वीरेन्द्र चंसौरिया टीकमगढ़

    *17*

    करय दिना मीठे लगें, पा पुरखन कौ साथ।

    देत असीसें बे हमें, हम हो जात सनाथ। ।

    ***

    -रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां

    *18*

    करइ सोच ना पालियो, करय न बोलो बोल।

    मिसरी घोरो प्रीत की, जौ जीवन अनमोल।।

    ***

    -संजय श्रीवास्तव, मवई, (दिल्ली)

    *19*

    करय बचन है तीर से ,छाती में घुस जात |

    कैबैं बारौ आदमी, आँखन खौं खुटकात ||

    ***

    -सुभाष सिंघई, जतारा

    *20*

    करों न संगत नीछ की,जो करबै बदनाम।

    करय नीम से बे लगै, जिनके ओछे काम।।

    ***

    एस आर सरल, टीकमगढ़

    ***

    *-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*

    (संयोजक- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता)

    मोबाइल- 9893520965



    राजीव नामदेव राना लिधौरी


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