• 08 July 2025

    ज्योतिष

    मरा मरा से राम तक

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    मरा मरा से राम तक


    सनातन धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोगों ने रत्नाकर नामक डाकू की कहानी सुनी होगी कि किस तरह उसने ऋषि मुनियों को लूटने की कोशिश की। ऋषि मुनियों की बातों से उसका हृदय परिवर्तन हुआ कैसे उसने "मरा मरा" का जाप कर राम को पाया और फिर वही डाकू आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के रूप में प्रसिद्ध हुए।


    यहां इस बात का जिक्र करना इसलिए जरूरी था ताकि आप आगे बताई जाने वाली बात को भली प्रकार से समझ सकें, कुछ सप्ताह पूर्व अपने परिचित में ही मैं एक बालक से मिला गजब तूफानी बालक (ऐसा मुझे बताया गया) था, ज्योतिष की भाषा में कहें तो मंगल (उग्र) और राहु (शैतानी/कूटनीति) प्रधान, बालक ऐसा हो तो मां का उसके भविष्य के प्रति चिंतित होना बड़ी स्वाभाविक सी बात है।


    जिस समय मैं उनके घर पहुंचा तो वह बालक स्कूल गया था वहां कुछ लोगों ने कुंडलियां दिखाई इसी क्रम में बालक की कुंडली भी मेरे पास आई, मैंने कुछ उपाय बताए और एक व्रत भी बताया बालक की माताजी जी ने कहा "वो कहा व्रत करेगा ?" मैंने कहा आप एक बार उससे कहकर तो देखना अगर ना करे तो बाकी के उपाय करने को कहिएगा।


    इसके बाद बालक स्कूल से घर पहुंचा मैंने वही उपाय बालक को बताए और उपायों के बाद होने का फायदा भी बताया, मैंने उससे यह भी कहा की अगर तुम यह उपाय करोगे तो 12वी पास करने के बाद तुम्हें तुम्हारा पसंदीदा मोबाइल मिल सकता है और चाहो तो व्रत वाले दिन रात में चाउमीन/फ्राइड रराइस/मोमो आदि भी खा सकते हो।


    ऐसा सुनकर तो बालक बहुत खुश हुआ एक दो दिन पहले मुझे मैसेज आया था कि बालक ने बताया हुआ व्रत रखा था यानी जो काम मरा मरा ने रत्नाकर/महर्षि वाल्मीकि के लिए किया वही काम पसंदीदा मोबाइल, चाउमीन/फ्राइड रराइस/मोमो ने उस बालक के लिए किया।


    एक और घटना का यहां मैं जिक्र करना चाहूंगा कुछ समय पहले मैंने एक बालक की कुंडली देखी थी जिसका चंद्रमा और गुरु काफी पीड़ित था, उस कुंडली का फलादेश करते समय मैंने उस बालक के पिता से कहा था अगर यह बालक उच्च/स्वग्रही वाले बच्चों के साथ दोस्ती करेगा या उनके साथ ज्यादा समय व्यतीत करेगा तो इसको चंद्रमा और गुरु के पीड़ित होने के कम दुष्परिणाम प्राप्त होंगे।


    एक बात मैं जरूर बताना चाहूंगा बालक को मैंने दो ग्रहों के उपाय बताए थे और उसके माता-पिता की कुंडली में भी वही दो ग्रह पीड़ित अवस्था में थे, यानी अगर बालक की कुंडली में G और K ग्रह पीड़ित थे तो माता की कुंडली में G और पिता की कुंडली में K पीड़ित था, ऐसा कह सकते हैं कि बालक की कुंडली में माता-पिता की कुंडली का अच्छा खासा प्रभाव था, पता नहीं मुझे यह बात कहनी चाहिए थी या नहीं लेकिन मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह बात कहनी जरूरी लगी, तो जाते-जाते मैं मजाकिया अंदाज में बालक की माता जी से कहकर आया आप खाली बालक को परेशान कर रही हैं उसमें गुण आप दोनों से ही तो आए हैं।





    Vipul Joshi


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