बुंदेली दोहे --गुरयाई(मिठाई)
भइया करियौ सब जनै, गुरयाई-सी बात।
मन भी किलकै हर्ष सें,जैसें दौलत पात।।
भले नहीं गुड़ देवँ तुम,पर गुरयाई बोल।
सुनबे बारे खौं लगै,जैइ वचन अनमोल।।
दुखिया जौ संसार है ,खटुआ हो रय खेल।
गुरयाई हैं प्रभु भजन,कर लो ऊसैं मेल।।
गुरयाई के गुलगुला,जीनें पैंलाँ खाय।
किस्मत के बे हैं धनी,नरम-गरम सब पाय।।
राधा खौं पुटया रयै,नटवर नंदकिशोर।
गुरयाई बातन फँसी,आज बड़े ही भोर।।
*** दिनांक -28-7-2025
*✍️ राजीव नामदेव"राना लिधौरी"*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक-'अनुश्रुति'त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
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