• 29 March 2025

    सुप्रभातम्

    हौसला

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    हौसला चट्टानों से टकराने का हो तो,

    दीवारों के सामने ना यूं फिर रोया करो,

    आंसू यूं जाया न करो तुम सैलाब बनो,

    नदी बनो, पहाड़ों को भी काट देती है,

    बयार बन सहलाओ, पर हवा ही तो है,

    जो अक्सर आंधी बन उड़ा भी देती है,

    फूल ही तो है, पर ये कभी तुम न भूलो,

    चट्टानों का सीना चीर खिलने का हुनर रखता है।



    अतुल अग्रवाल


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अकरम आज़ाद - (30 March 2025) 4

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ऋचा दीपक कर्पे - (29 March 2025) 5
बढ़िया!

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डा संगीता अग्रवाल - (29 March 2025) 5
सुंदर प्रेरणा देती एक प्रभावशाली रचना👍❤️

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