हर वो चीज जो पृथ्वी में उपस्थित है उसका मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है, दोपहिया वाहन चलाते समय एक रेत का कण भी आंखों के अंदर चला जाए तो वह दुर्घटना का कारण बनता है, सोचिए जरा ऐसे में रंग भला कैसे इससे अछूते रह सकते हैं हम सभी जानते हैं सूर्य का प्रकाश भी सात रंगों से मिलकर बना है।
आज के लेख में हम रंग और ज्योतिष के मध्य संबंध पर बात करेंगे, जैसा कि आप सभी जानते होंगे कुंडली में बारह भाव होते हैं और यह बारह भाव धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष में बंटे होते हैं।
यूं तो विचित्र-विचित्र तरह के उपाय जातक को बताए जाते हैं और जातक उन्हें सुनकर सम्मोहित भी होता है, लेकिन मेरा अपना मानना है कि किसी "अति विशेष परिस्थिति" को छोड़कर जातक को सिर्फ धर्म भाव के उपाय करने चाहिए धर्म भाव यानी प्रथम भाव, पंचम भाव और नवम भाव, अन्य भाव के उपाय करने पर जातक को प्रतिकूल फल भी प्राप्त हो सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर दूसरा भाव धन स्थान होता है, मैंने कई ज्योतिषियों को कहते सुना है कि जीवन में अगर धन नहीं आ रहा है तो धन प्राप्ति के लिए आपको दूसरे भाव का उपाय करना चाहिए। लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि वह लोग ऐसा क्यों कहते हैं क्या वो ये बात भूल जाते हैं कि दूसरा स्थान मारक भाव भी होता है या उन्हें सिर्फ आड़े-टेढ़े उपाय बताकर जातक को सम्मोहित करने से मतलब है।
पुनः लेख की तरफ लौटते है जैसा कि हम सभी जानते हैं प्रत्येक ग्रह किसी न किसी रंग का प्रतिनिधित्व करता है जैसे मंगल लाल रंग का, बुध हरे रंग का, गुरु पीले रंग का, शनि नीले और काले रंग का आदि, तो अगर जातक कोई महंगा उपाय करने में असमर्थ है या किसी ऐसी देश, काल, परिस्थिति में है जहां वह चाहकर भी उपाय नहीं कर पा रहा तो ऐसी स्थिति में वह अपने लग्नेश, पंचमेश और नवमेश का रंग भी धारण कर सकता है।
जातक रुमाल के रूप में, ब्रेसलेट के रूप में, कपड़ों के रूप में या उपयोग करने वाली अन्य वस्तुओं के रूप में इन रंगों को अपने समीप रख सकता है, वैसे तो बात यहीं खत्म हो जानी थी लेकिन इस लेख को लिखते वक्त एक और विषय मुझे ध्यान आ रहा है मैं चाहता हूं मुझे उसके लिए दूसरा लेख ना लिखना पड़े।
वह विषय है ज्योतिष और यंत्र जिस तरह आप लग्नेश, पंचमेश, नवमेश का रंग धारण कर सकते हैं, उसी प्रकार आप अपने मंदिर में या घर की दीवार पर लग्नेश, पंचमेश, नवमेश का यंत्र भी स्थापित कर सकते हैं और नियम से उसका ध्यान/पूजा कर सकते हैं।
यंत्र से जुड़ी कुछ एक घटनाएं मुझे याद आती हैं मेरे कुछ एक मित्र विदेश में थे जिनके लिए सामान्य उपाय कर पाना संभव नहीं था, ऐसी स्थिति में मैंने उन्हें भी लग्नेश, पंचमेश, नवमेश में से किसी एक का रत्न स्थापित करने का सुझाव दिया था और उन्हें लाभ भी हुआ।
इसकी सबसे आसान बात यह है कि आप इसका कलर प्रिंटआउट लेकर उसमें लेमिनेशन करवाकर मंदिर में लगा सकते हैं या उसे पर्स और बैग में साथ लेकर यात्रा भी सकते हैं और यात्रा के दौरान ही नियम से उसका ध्यान/पूजा कर सकते हैं।
एक अति महत्वपूर्ण बात के साथ मैं अपने इस लेख को समाप्त करता हूं, वो ये की पंचमेश हमारा इष्ट होता है उसका यंत्र या उस रंग का प्रयोग तो बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के भी किया जा सकता है, और फिर जैसा कि मैं हमेशा कहता हूं इष्ट के उपाय हर किसी को करने चाहिए आगे का रास्ता फिर जातक को स्वयं इष्ट दिखा देंगे।
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