सुनो!
हां तुम!!
ये तन्हाइयाँ ही हैं
जिसमें हम अक्सर
तुम्हें ही जिया करते हैं ....
कभी मुस्कुराकर तो
कभी दुआ पढ़कर
बस तुम्हें बस तुम्हें ही
जिया करते हैं .....
लग जाते हैं ख्यालों में
तुम्हारे सीने से
तो कभी कंधे पर सर रखकर
सुकून पा लेते हैं
कभी ख़ामोश तो कभी
गुनगुना कर हम अपना हाल
तुम्हें बता...More
सुनो!
हां तुम!!
ये तन्हाइयाँ ही हैं
जिसमें हम अक्सर
तुम्हें ही जिया करते हैं ....
कभी मुस्कुराकर तो
कभी दुआ पढ़कर
बस तुम्हें बस तुम्हें ही
जिया करते हैं .....
लग जाते हैं ख्यालों में
तुम्हारे सीने से
तो कभी कंधे पर सर रखकर
सुकून पा लेते हैं
कभी ख़ामोश तो कभी
गुनगुना कर हम अपना हाल
तुम्हें बता दिया करते .....
कभी कागज़ पर कलम से
तुम्हारा नाम लिखते हैं
तो कभी ख़ामोशी से
मिलन की आस लिखते है
हो ना जुदा तुमसे हम
बस ख़ुद से ये फरियाद करते है....!!