मिलनसार व्यक्तित्व के धनी इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल' पूर्व विदर्भ स्थित चावल नगरी के नाम से प्रसिद्ध शहर गोंदिया के निवासी है. उन्होने सिव्हिल इंजीनिअरिंग में डिप्लोमा और हिंदी साहित्य में बी. ए. किया है. गोवर्धनजी वर्तमान में महाराष्ट्र शासन के मृद एवं जलसंधारण विभाग में उप विभागीय...More
मिलनसार व्यक्तित्व के धनी इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल' पूर्व विदर्भ स्थित चावल नगरी के नाम से प्रसिद्ध शहर गोंदिया के निवासी है. उन्होने सिव्हिल इंजीनिअरिंग में डिप्लोमा और हिंदी साहित्य में बी. ए. किया है. गोवर्धनजी वर्तमान में महाराष्ट्र शासन के मृद एवं जलसंधारण विभाग में उप विभागीय जलसंधारण अधिकारी पदपर कार्यरत है. राष्ट्रीयस्तर की सामाजिक संस्था अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पँवार) महासंघ भारत के साहित्य समिती के वे अध्यक्ष भी है. सरकारी नौकरी के साथ उन्हे कविताए, लेख, संस्मरण लिखना और सामाजिक कार्य मे ऋची लेना पसंद है.
गोवर्धनजी के पोवारी बोलीभाषा में 'मयरी' काव्यसंग्रह तथा ‘पुरखाइनको गौरवशाली इतिहास’ (इतिहास, संस्मरण एवं लघु बोधकथाएँ) और मराठी भाषा में 'मृदगंध' काव्यसंग्रह प्रकाशित हुए है. इसके अलावा भारत के सबसे बडे बहुभाषी साहित्य मंच ‘स्टोरीमिरर’, ‘अमर उजाला’ ‘शाॅपीजन’ और ‘प्रतिलिपी’ के पटलपर उनकी पोवारी, मराठी एवं हिंदी की कई कथा, कविताएँ उपलब्ध है. उनकी कविताएँ दर्जनो साझा काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है. कई सामाजिक पत्रिकाए एवं समाचार पत्र में भी उनकी कविता एवं लेख प्रकाशित होते रहते है. वे जरुरतमंद साहित्यकारों के लिए किफायती मुल्योपर आय.एस.बी.एन. के साथ किताबों का प्रकाशन भी करते है. अभी तक उनके द्वारा करिबन २० काव्य संग्रह, लेख संग्रह आदि पोवारी, मराठी एवं हिंदी किताबे प्रकाशित हुई है.
पोवारी, हिंदी और मराठी के कई आभासी पटल पर काव्यस्पर्धा में सहभागी होकर राज्यस्तरपर प्रथम, व्दितीय क्रमांक के साथ उत्कृष्ट लेखन के लिए उन्हे कई बार सम्मान पत्र मिले है. उत्कृष्ट तथा सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए उन्हे ‘पोवारी साहित्य रत्न’, 'साहित्य कला कुमुदिनी रत्न', 'राष्ट्रीय साहित्यकार', 'राष्ट्रीय प्रतिभा', 'लिटररी ब्रिगेडिअर' आदि सम्मानों से पुरस्कृत भी किया गया है.