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About Rahul Pandey
लेखक के विषय में,
..यहाँ जिक्र किया जाता है, महत्वाकांक्षी, विचार ध्येयक, सागर जैसी कल्पना की, असीम्य गहराई में डूबे, ..वा अपनी ही एक रंगीली दुनिया में मग्न, उस प्रतिभाशाली रचनाकार जिनका नाम राहुल पाण्डेय है, जिन्होंने भारतीय, हिन्दी साहित्य विधा को, अपने कई उपन्यासों व कृतियों से संजोया है,...More
लेखक के विषय में,
..यहाँ जिक्र किया जाता है, महत्वाकांक्षी, विचार ध्येयक, सागर जैसी कल्पना की, असीम्य गहराई में डूबे, ..वा अपनी ही एक रंगीली दुनिया में मग्न, उस प्रतिभाशाली रचनाकार जिनका नाम राहुल पाण्डेय है, जिन्होंने भारतीय, हिन्दी साहित्य विधा को, अपने कई उपन्यासों व कृतियों से संजोया है, जिनमें प्रमुख रहीं ‘खिलाड़ी सतोशीनाकातोज़’ ‘लड़ाई बिना हथियार के’ ‘काला धन’ ‘दो बेहूदे’ ‘विध्वंस’ इत्यादि
..इसी क्रम में, अपनी इस सहित्यिक यात्रा में, नाना प्रकार की ख्याति, वा प्रतिभावान, व्यक्तित्व को जीने वाले, इस रचनाकार ने, अपनी एक त्रय कथा ‘कलियुग के बारह सौ दिव्य वर्ष’ की प्रस्तुति में जिसकी पहली खंड प्रति ‘कालगा पिशाचों के देव’ थी, दूसरी खंड प्रति जो आपके समक्ष है, ‘स्वर्ग एक युद्ध क्षेत्र" और इसकी तीसरी प्रति ‘देवों के अमरता का रहस्य’ है।
..अपनी इस साहित्यिक यात्रा को, अग्रेशित करते हुए, इन महोदय ने, अपनी सहित्यिक कलानिधानता, की शूमार पेशकश में, इन्होंने कई कवितावली संग्रह की भी, नुमाइन्दगी की, जिसका मुजाहीरा जन समुदाय में, विख्यात है, तत्कालीन समय में, ये मान्यवर एक नयी उपन्यास की रचना में कार्य रत है, जोकि जल्द ही जन समुदाय के, समक्ष होगा, आपको यह जानकर अचरज होगा की, अभी लेखक राहुल पांडेय की, उम्र महज ३२ वर्ष ही, और इन्होनें अपने एक साक्षात्कार पर जनसमुदाय को, बताया की उन्होंने, इन उपरोक्त वर्णित रचनाओं के अतरिक्त भी, अनेकों रचनाओं का कॉपीराइट लिया है, जो उन्होंने अभी तक, प्रकाशित तक नहीं किया है।
यही नहीं, इन्होनें यह भी, उजागर किया की, इन्होनें अभी से ही, कई ऐसे शीर्षकों को चुना है, जिस पर वे, अपने जीवन के, अग्रिम पंद्रह वर्षों के लिए, कार्यरत होंगे, यद्यपि भविष्यतः भी ये इसी भांति हिंदी साहित्य बिधा के प्रति समर्पित रहे तो यह हिंदी साहित्य को अनेकों रचनाओं को समर्पित करेंगे, इनकी समस्त रचनाएं अत्याधुनिक विषयों पर विचारात्मक प्रभाव डालती हैं, साक्ष्य तथ्यों की पेशी के साथ साथ, तार्किक होती है, ऐसे साहित्य बिधाकार को, हिंदी जगत के साहित्य प्रेमियों की ओर से, सतत नमन।
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