Likhne ka shouq hai isliye panne kale kiya karti hoon.. mashor toh nhi hoon, fir bhi koshish kiya krti hoon... Dastan -e- Ishq se mera koii ta'alluq bhi nahe.. Main faqt halaat -e- jindgi bayaan krti hoon!!
Book Summary
‘मदर्स डे’ है आज, ऐसा लोग कहते हैं. पर कोई क्या खाकर मां के लिए कोई दिन मुक़र्रर करेगा. वह सब दिन की है. सब घंटों की है. उसने तब से हमारी परवरिश की है, जब इस आसमान के नीचे हमने आंख भी नहीं खोली थी.
डॉ. कुमार विश्वास की एक बात याद आती है. वह कहते हैं कि कभी सड़क पर जा रहे हों और सामने से आता हुआ एक ट्रक बेहद करीब दिखाई दे जाए तो सारी चेतना सिमटकर नाभि पर आ जाती है. वह दिल पर भी नहीं आती, छाती पर भी नहीं आती. नाभि पर आ जाती है. क्योंकि मां ने 9 महीने जहां से प्राण पिलाए हैं, वह चेतना वहीं से वापस जाएगी.