रात्रि गीत का तात्पर्य उस अनिष्ट की शंका से है जो हमें अपने प्रियजन की अकल्पनीय अनुपस्थितति से होने लगती है। यहाँ नायिका अपने प्राणसखा के न आने से आहत मन को समझा-बुझाकर शांत हो ही रही है कि अचानक अनिष्ट की शंका उस शांति को फ़िर से भंग कर देती है। यही है वह रात्रि गीत।