जगत्मिथ्या?

जगत्मिथ्या?


उल्हास ढवळे उल्हास ढवळे

Summary

खरंच हे जग मिथ्या आहे? कोणत्याही पातळीवर मला तसे वाटत नाही. खिन्नता, प्रसन्नता, गर्दीतला एकटेपणा,आप्तांमध्ये रमणे, हे सर्व आपण मानसिक...More
Poem
uday kalgutkar - (23 November 2020) 5
शेवटी मनच ते.... सुंदर..

1 1

Anurag Nadkarni - (22 November 2020) 5
????

1 0

Swanand Talekar - (21 November 2020) 5

1 0

Sumit Desai - (21 November 2020) 5

1 0

शैलेन्द्र परूळकर . - (21 November 2020) 5
वाह वाह! झकास

1 1

Bhushan Bhopatkar - (21 November 2020) 5
सुंदर रचना .

1 1

Asmita Hardikar - (21 November 2020) 5

1 0

View More

Publish Date : 21 Nov 2020

Reading Time :


Free


Reviews : 10

People read : 68

Added to wish list : 1