कहते हैं आप कि यहां मैं अपने बारे में कुछ लिखूं, क्या लिखूं, लिख दूं यहां अपनी कुछ बचपन की नादानियां, या कि कुछ अपने जवां दिल की बदमाशियां लिखूं, या गुजिश्ता कुल जिंदगी पे कोई अफसाना हसीं लिखूं, यूं तो जिंदगी में सोज़े ग़म के तराने भी कुछ कम नहीं, बहरहाल समझ नहीं आता मुझे कि अपने बारे में मैं...More
कहते हैं आप कि यहां मैं अपने बारे में कुछ लिखूं, क्या लिखूं, लिख दूं यहां अपनी कुछ बचपन की नादानियां, या कि कुछ अपने जवां दिल की बदमाशियां लिखूं, या गुजिश्ता कुल जिंदगी पे कोई अफसाना हसीं लिखूं, यूं तो जिंदगी में सोज़े ग़म के तराने भी कुछ कम नहीं, बहरहाल समझ नहीं आता मुझे कि अपने बारे में मैं खुद ही क्या लिखूं..
-अतुल।
Book Summary
तू नया है तो दिखा सुबह नई, शाम नई..
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई..