वृक्ष हो पाना...

वृक्ष हो पाना...


ऋचा दीपक कर्पे ऋचा दीपक कर्पे

Summary

विश्व पर्यावरण दिवस विशेष
Poem
Jayant Kulkarni - (07 June 2025) 5
व्वा क्या बात है ऋचा मॅडम ... बहोत बढिया

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Maya Mahajan - (07 June 2025) 5
आपकी कविता माने 'गागर मे सागर ' है. जहां मनुष्य क्षमता का विचार है, वहा आदर्श जीवन की सीख भी है.

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Shridhar Bedekar - (06 June 2025) 5
फारच अप्रतिम, स्पष्ट विचार 🙏

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Mrudula Kulkarni - (05 June 2025) 5
मानव को मानव हो पाना बड़ा मुश्किल होता जा रहा है..वह वृक्ष क्या बन पाएगा! अवहेलना को नजर अंदाज करते हुए वृक्ष जैसा सर्वस्व समर्पण मानव के बस की बात नहीं.. ऋचा जी,बड़ी अच्छी रचना भेजी..विचार करनेपर मजबूर करनेवाली!

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Seema Puranik - (05 June 2025) 5
बहुत सुंदर कविता । सच है "संभव नहीं वृक्ष हो पाना " मानव के लिए।

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गीतांजलि धर्मेश पोलाई गीत - (05 June 2025) 5
शायद कभी नहीं, बहुत ही सुंदर और लाज़वाब रचना ऋचा जी 👌👌❤️🙏

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मैं कोई लेखिका या कवियित्री नही।इस खूबसूरत दुनिया की खूबसूरत बातें, कुछ किस्से कुछ यादें अपने शब्दों में पिरोने की एक ईमानदार कोशिश करती हूँ....

Publish Date : 05 Jun 2025

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