Mrudula Kulkarni - (05 June 2025)मानव को मानव हो पाना बड़ा मुश्किल होता जा रहा है..वह वृक्ष क्या बन पाएगा! अवहेलना को नजर अंदाज करते हुए वृक्ष जैसा सर्वस्व समर्पण मानव के बस की बात नहीं.. ऋचा जी,बड़ी अच्छी रचना भेजी..विचार करनेपर मजबूर करनेवाली!
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Seema Puranik - (05 June 2025)बहुत सुंदर कविता । सच है "संभव नहीं वृक्ष हो पाना " मानव के लिए।