गीतांजलि धर्मेश पोलाई गीत - (05 November 2025)बहुत ही सुन्दर विचार हैं। यह रचना सिर्फ़ एक रचना नहीं बल्कि एक बेहतरीन संदेश है। आपके विचारों से हम बिल्कुल सहमत हैं, एक-दूसरे के प्रति विश्वास, प्रेम और भाईचारा से ही यह निस्वार्थ संपर्क आगे बढ़ता है। जहां कोई स्वार्थ नहीं है ,बल्कि एक-दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ना और बढ़ाने का एक पवित्र सूत्र है। बहुत सुंदर संदेश 👌🙏🙏
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Ajay Nidaan - (22 September 2025)बिलकुल सहमत जी आपके विचारों से हम आपसी सूझ बुझ और तालमेल का परिचय देकर एक दूसरे से विचारों और रचनाओं पर भी चर्चा कर सकते है |
Reeta Khare - (31 July 2025)बहुत ही सुन्दर एवं अपनत्व झलकता लेखन पढ़कर बहुत अच्छा लगा भाईजी🙏
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Onkarlal Patle - (31 July 2025)सुंदर भाव! आपने अपना परिचय करा दिया और अपनत्व का भाव भी जगा दिया। इसके लिए आप और आपके परिजनों को हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !