SABIRKHAN PATHAN - (28 May 2025)बेहतरीन रचना। पारो अपने बेरंग जीवन में रंग भरने का निश्चय करती है। अच्छा लगा। वरना महिलाए उसी को नियति मानकर खुदपर जुल्म ढाती रहती है।
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शिखा गोस्वामी - (25 May 2025)bahut badhiya कहानी है आदरणीय 👍👍 पढ़कर बहुत achcha lga